बंशीपहाड़पुर के द्वितीय चरण में 248 हैक्टेयर क्षेत्र का होगा डायवर्जन, पहले चरण की 11 खानों में खनन कार्य जारी

जयपुर, 20 अक्टूबर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम एवं जलदाय डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा है कि बंशीपहाड़पुर के द्वितीय चरण के डायवर्जन कार्य को…

बंशीपहाड़पुर के द्वितीय चरण में 248 हैक्टेयर क्षेत्र का होगा डायवर्जन

जयपुर, 20 अक्टूबर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम एवं जलदाय डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा है कि बंशीपहाड़पुर के द्वितीय चरण के डायवर्जन कार्य को प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 398 हैक्टेयर क्षेत्र में डायवर्जन कर खनन प्लाटों की नीलामी की जा चुकी है और क्षेत्र की 11 खानों में पत्थर का खनन कार्य आरंभ हो चुका है। गौरतलब है कि बंशीपहाड़पुर में 646 हैक्टेयर क्षेत्र है जिसमें से द्वितीय चरण में 248 हैक्टेयर क्षेत्र का डायवर्जन करवाया जाएगा।

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने भरतपुर दौरे के दौरान माइंस विभाग के एमई राम निवास मंगल, एएमई सुनील शर्मा व अधिकारियों के साथ बंशीपहाड़पुर क्षेत्र का दौरा किया और खनन पट्टाधारियों से भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 248 हैक्टेयर क्षेत्र के द्वितीय चरण के डायवर्जन के प्रस्ताव तैयार कर भिजवाएं ताकि डायवर्जन की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करवाई जा सके। उन्होंने बताया कि राममंदिर व अन्य स्थानों पर बंशीपहाड़पुर के विश्वविख्यात गुलाबी लाल पीले पत्थर की मांग होने से यह अतिसंवेदनशील कार्य था पर समग्र प्रयासों से पहले चरण में 41 खनन पट्टों की नीलामी व एक पट्टा आरएसएमएम को जारी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि बंशीपहाड़पुर में एसएमई जयपुर प्रताप मीणा को समयवद्ध क्रियान्वयन के लिए प्रभारी अधिकारी बनाते हुए जिम्मेदारी दी गई। दूसरे चरण की कार्ययोजना व समन्वय की जिम्मेदारी प्रताप मीणा की दी गई है।

दुनिया में मशहूर है बंशीपहाड़पुर का पत्थर

डा. अग्रवाल ने बताया कि बंशीपहाड़पुर में वैध खनन कार्य आरंभ कराना राज्य सरकार के लिए चुनौती भरा काम था। उच्चतम न्यायालय के आदेश से दिसंबर 1996 से बिना डायवर्जन के गैर वानिकी कार्य प्रतिबंधित किए जाने से उक्त क्षेत्र में वैध खनन बंद हो गया था। देश दुनिया में बंशीपहाड़पुर के पत्थर की मांग को देखते हुए क्षेत्र मेें अवैध खनन होने और आए दिन कानून व्यवस्था की समस्या सामने आ रही थी।

एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राममंदिर के लिए पत्थर से जुड़ा अतिसंवेदनशील मामला होने के कारण मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत इस प्रकरण में गंभीर थे और उनके अथक प्रयासों से ही पहले अतिसंवेदनशील बंशी पहाड़पुर खनन क्षेत्र ब्लॉक ए व बी सुखासिला एवं कोट क्षेत्र को बंध बारेठा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र से बाहर करवाया गया और उसके बाद केन्द्र सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन भूमि के डायवर्जन की स्वीकृति जारी कराई गई।

राममंदिर निर्माण में भी लगा है बंशीपहाड़पुर का पत्थर

माइंस एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने इस कार्य को प्राथमिकता में रखते हुए बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में खानों के प्लाट तैयार कर उनकी ई नीलामी व वैद्य खनन के लिए किए जा रहे प्रयासों की निरंतर मोनेटरिंग करते रहे हैं। बंशी पहाडपुर के पत्थर की राम मंदिर निर्माण में भी मांग को देखते हुए यह इस क्षेत्र में वैध माइंनिग शुरु करवाना राज्य सरकार के लिए संवेदनशील रहा है।

एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखने का परिणाम रहा कि पहले केन्द्र सरकार से वन भूमि का डायवर्सन और उसके बाद प्लॉटों को तैयार कर आक्शन की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई। क्षेत्र में विश्वविख्यात गुलाबी लाल पत्थर का करीब 26 साल बाद वैध खनन आरंभ हो गया है। इससे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिलने लगा है वहीं नए निवेश की राह प्रशस्त हो गई है।

जिला कलक्टर के साथ बैठक में ड्रोन सर्वे के निर्देश

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने जिला कलक्टर आलोक रंजन व माइंस और जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तार से विचार विमर्श किया। उन्होंने बताया कि द्वितीय चरण में डायवर्जन की औपचारिकता पूरा होने के बाद क्षेत्र में प्लॉटों की नीलामी की जा सकेगी जिससे अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लग सके और विश्वविख्यात लाल पत्थर का श्वैध खनन हो सके।

डॉ. अग्रवाल ने चर्चा के दौरान जिले की पहाड़ी, घटोली, मेरथा, जोतरली, भुसावर व बैर, बिजासन आदि में खनन गतिविधियों की जानकारी ली और निर्देष दिए कि आवश्यकता को देखते हुए अवैध खनन पर प्रभावी रोक के लिए ड्रोन सर्वे भी करवाया जाएं। उन्होंने कहा कि 14 वीं बटालियन का बेहतर उपयोग करते हुए अवैघ खनन गतिविधियों पर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जाएं।

अवैध खनन सबसे बड़ी समस्या

जिला कलक्टर आलोक रंजन ने माइंस व जलदाय से संबंधित विभिन्न मुछ्दों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि जिले में माइनिंग क्षेत्र में काफी विस्तारित और हरियाणा व उत्तर प्रदेश से सीमा सटी होने से अवैध खननकर्ता अन्य प्रदेशों में प्रवेश कर जाते हैं। उन्होंने बताया कि फिर भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व विभाग द्वारा अवैध खनन गतिविधियों पर रोक लगाने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।

बैठक में एसएमई अविनाश कुलदीप, एमई रामनिवास मंगल, एसएमई सुनील शर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता जलदाय रामनिवास मीणा व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

यह भी पढ़ें- सहकार उपहार दीपोत्सव मेले में जयपुरवासियों ने की 2 करोड़ रूपए की खरीददारी, धनतेरस पर मिलेंगे चांदी के सिक्के

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *