RU छात्रसंघ चुनाव 2022 : राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनावों में प्रदेश में मौजूदा समय में चल रहे सियासी समीकरणों की तस्वीर देखने को मिल रही है। एनएसयूआई और एबीवीपी सहित सभी छात्र संगठन और छात्रनेता जीत की तस्वीर बनाने में लगे हैं। चुनावों में स्टूडेंट्स और स्थानीय मुद्दों को गौण कर छात्र नेता जातिगत टिकट वितरण का आरोप लगा राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हुए हैं। दोनों प्रमुख छात्र संगठनों ने समीकरण बनाते हुए अध्यक्ष पद प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। अब उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवारों के लिए समीकरण बना रहे हैं। इसमें अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे छात्र नेताओं को भी राजी कर महासचिव पद पर उम्मीदवार बनाने की तैयारी की जा रही है।चुनावों में एबीवीपी ने नरेंद्र यादव और एनएसयूआई ने रितु बराला को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। दोनों छात्र नेता ओबीसी वर्ग और किसान परिवार से आते हैं, लेकिन चुनावों जीतने के लिए किस तरह के मुद्दे लेकर मैदान में उतरेंगे, उसको लेकर दोनों प्रत्याशियों ने सच बेधड़क से खास बातचीत की।
एनएसयूआई उम्मीदवार रितु बराला
एनएसयूआई से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार रितु बराला का कहना है कि एनएसयूआई ने मेरे काम को, बीते पांच साल से जो संघर्ष किया जा रहा है उसे और आम छात्र की मांग पर मुझ पर विश्वास जताया है। 36 कौम के भाई बहनों के सहयोग से मुझे अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। उसके लिए संगठन को धन्यवाद। संगठन की उम्मीद पर खरा उतरने का काम करूंगी। पूरी कोशिश करेंगे एनएसयूआई के पूरे पैनल को जीता कर ले जाएंगे।
टिकट वितरण पर कई दावेदार जातिगत टिकट देने के आरोपों पर रितु बराला ने कहा कि संगठन ने टिकट देने से पहले हमें टास्क दिया गया था। उस टास्क पर खरा उतरने पर ही टिकट दिया है। संघर्ष को देखते हुए मुझ पर विश्वास जताया है। वहीं एनएसयूआई के कई दावेदार बागी होकर चुनाव लड़ने के सवाल पर रितु बराला ने कहा कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते। अगर संगठन के हैं तो उन्हें मनाने की कोशिश की जाएगी। मैं खुद उन्हें साथ लाने का प्रयास करूंगी।
इन मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगी
राजस्थान यूनिवर्सिटी की समस्याओं को देखते हुए रितु ने कहा कि हमें डिबेट के जरिए अपनी आवाज उठानी चाहिए। डिबेट होनी चाहिए ताकि राजस्थान यूनिवर्सिटी के आम छात्र की समस्या सामने आए और उसका समाधान हो सके। मैंने इससे पहले भी हमेशा स्टूडेंट की समस्याओं को लेकर आवाज उठाई हैं। महारानी कॉलेज में अध्यक्ष रहते हुए हर मेनिफेस्टो को पूरा किया।
एबीवीपी प्रत्याशी नरेंद्र यादव
एबीवीपी प्रत्याशी नरेंद्र यादव ने सच बेधड़के को बताया कि इस टिकट के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड़ा पहले एलिजिबल होने के लिए और अब एबीवीपी के अध्यक्ष पद के लिए। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के लोगों ने हमें बाहर निकालने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन हमारे संघर्ष ने हमें जिंदा रखा। हाई कोर्ट ने हमारी आवाज को सुना और हमें चुनाव लड़ने का अधिकार दिया। अब एबीवीपी के पूरे संगठन और सभी साथियों का धन्यवाद देना चाहूंगा, जिसने मेरे संघर्ष को देखते हुए मुझे टिकट दिया।
नरेंद्र ने कहा कि राजस्थान यूनिवर्सिटी के सभी स्टूडेंट्स का सहयोग मेरे संघर्ष को देखते हुए मिलेगा। उनकी आवाज बनने का मैं काम करूंगा। आम छात्र की जो भी समस्या होगी उस समस्या को पुरजोर तरीके उठाऊंगा और सभी के सहयोग से इस चुनाव में जीत हासिल करूंगा। जातिगत समीकरणों में बांधकर टिकट देने के सवाल पर नरेंद्र यादव ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, एबीवीपी संगठन में 2015 से काम कर रहा हूं। संगठन ने जहां कहा, वहां हमेशा खड़ा रहा हूं। संगठन ने काम देखकर ही मुझे चुनाव मैदान में उतारा है। सभी कोम के स्टूडेंट्स का सहयोग लेना चाहूंगा।
नरेंद्र यादव के ये रहेंगे मुद्दे
चुनावी मुद्दों को लेकर नरेंद्र यादव ने कहा कि राजस्थान यूनिवर्सिटी में एक आम छात्र की तरह रहकर मैंने हर स्थिति को देखा है। बहुत कुछ बदलाव की जरूरत है, जैसे छात्राओं की सुरक्षा, यूनिवर्सिटी और संगठन कॉलेजों में नियमित कक्षाएं, समय पर परीक्षाएं होना, एडमिशन होना और छात्रावासों में खाने की व्यवस्था ठीक करना। साथ ही कैंपस में पेयजल की व्यवस्था ठीक करने का काम किया जाएगा। प्रदेश के गांव-ढाणियों से आने वाले स्टूडेंट्स को किसी तरह की समस्या नहीं हो इसके लिए हेल्प डेस्क खोली जाएगी।
बागियों को मनाने में उतरे संगठन
एबीवीपी और एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद की घोषणा करने के बाद अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे छात्र नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर दोनों संगठन जातिगत समीकरणों को देखते हुए अन्य पदों पर टिकट देने के लिए समीकरण बना रहे हैं और बागियों को टिकट देकर उन्हें संगठन के साथ लाने का काम कर रहे हैं। एनएसयूआई से अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रही मंत्री मुरारी लाल मीणा की बेटी निहारिका जोरवाल, महेंद्र चौधरी, महेश चौधरी दावेदारी कर रहे हैं, वहीं एबीवीपी से अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे रोहित शर्मा, अरविंद झाझड़ा सहित कई छात्रनेता बगावत कर रहे हैं। ऐसे में संगठन जातिगत समीकरण बनाकर टिकट देना चाह रहे हैं।
एबीवीपी अध्यक्ष प्रत्याशी नरेंद्र यादव पर एफआईआर दर्ज
शहर में जगह-जगह चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट के रैलियां निकल रहे हैं। शहर में जगह-जगह बैनर-पोस्टर लगे हैं। इसके चलते नगर निगम के मालवीय नगर जोन के डिप्टी कमिश्नर मुकेश कुमार मूंड ने बजाज नगर थाने में एबीवीपी अध्यक्ष पद के प्रत्याशी नरेंद्र यादव सहित कुल 7 छात्र नेताओं के खिलाफ नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 297 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया है। एबीवीपी ने नरेंद्र यादव के गौरव टॉवर पुलिया के डिवाइडर पर रखे गमलों पर पोस्टर लगे थे, जिसके चलते उनके खिलाफ ये मुकदमा करवाया गया है।
नगरपालिका अधिनियम 2009 कानून के तहत ऐसे मामले में मुकदमा दर्ज होने वाले व्यक्ति पर 10 हजार रुपए तक का जुर्माना और एक साल की सजा का प्रावधान है। टोंक पुलिया के नीचे पोस्टर चिपकाने पर देव पलसानियां, गोपालपुरा मोड़ पर पुलिया के नीचे पोस्टर चिपकाने पर हरेंद्र सिंह चौधरी, गौरव टॉवर पुलिया के ऊपर डिवाइडर पर रखे गमलों पर पोस्टर चिपकाने पर मोहित गुर्जर, प्रताप भानू मीणा, जेएलएन मार्ग बस स्टैंड पर पोस्टर चिपकाने पर हेमंत पुजारी और सचिन चौधरी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है।