बीकानेर। राजस्थान के बीकानेर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक दलित महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली। एक साथ चार लोगों की सुसाइड की खबर से इलाके में सनसनी फैल गई। मां, दो बेटी और एक बेटे की मौत से गांव में चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। यह घटना पांचू थाना क्षेत्र के स्वरूपसर गांव में गुरुवार शाम की है। बताया जा रहा है कि हादसे के दौरान घर के सभी लोग खेत पर काम करने गए हुए थे। जब शाम को घर लौटे तो घटना की जानकारी पता लगी।
महिला के ससुर केशुराम मेघवाल ने बताया कि उसकी पुत्रवधु नेनी देवी मेघवाल (32) पत्नी गोपीराम ने उसकी 2 बेटी पूजा (7), उर्मिला (50) और एक बेटा भावेश (1) के साथ ढाणी में पानी के कुंड में छलांग लगाकर आत्महत्या कर लिया। मृतक महिला का एक बेटा दादा के पास होने के कारण बच गया।
हादसे की सूचना पर पांचू थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से सभी शवों को पानी से बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया।
पांचू थानाधिकारी मनोज कुमार यादव ने बताया कि स्वरूपसर गांव की रोही में गोपीराम अपनी पत्नी नेनी देवी व बच्चों के साथ खेत में ढाणी बनाकर रहता है। परिवार में आपस में अनबन चल रही थी।
गुरुवार को घर के सभी सदस्य दूसरे खेत को जोतने के लिए गए हुए थे। पीछे से नेनी देवी अपने दो बेटी और एक बेटे के साथ पानी की टांके में कूदकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना शाम पांच बजे मिली, तो पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने सभी मृतकों का पांचू अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिए।
कीचड़ में फंसे हुए थे सभी के शव…
महिला ने बच्चों के साथ सुसाइड की खबर सुनते ही परिवार को लोग ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे। वहां जाकर देखा तो चारों के शव पानी के नीचे कीचड़ में फंसे हुए थे। बारिश होने से गोपीराम के खेत में बने टैंक में पानी भरा हुआ था। इस कारण चारों शव को निकालने में मशक्कत करनी पड़ी। टैंक में पानी अधिक होने के कारण जनरेटर पंप से पानी निकाला गया। इसके बाद चारों के शव पानी से बाहर निकाले गए।
बड़ा बेटा दादा के साथ गया था, इसलिए बच गया…
पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि मृतका का पति शराब पीने का आदी है। दो दिन पहले भी पति-पत्नी में इसी बात को लेकर विवाद हुआ था। गुरुवार सुबह दोनों पति-पत्नी में फिर विवाद हुआ। इसके बाद परिवार के लोग गांव से दूर अपने दूसरे खेत चले गए। उन्हीं के साथ नेनीदेवी का बड़ा बेटा पुखराज भी गया, जिस कारण से वह बच गया।