IPS Rakesh Balwal: मणिपुर से एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आ रही है। इस बीच, श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राकेश बलवाल को मणिपुर कैडर में वापस भेज दिया गया है। बलवाल को आतंकवादी मामलों से निपटने में विशेषज्ञ माना जाता है। बलवाल को दिसंबर 2021 में अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर में भेजा गया था।
मणिपुर में नई पोस्टिंग
अब उन्हें मणिपुर में नई पोस्टिंग दी जाएगी, जहां इस साल मई से मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं और राज्य में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हाल ही में दो छात्रों के शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तनाव और बढ़ गया। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।
उधमपुर के रहने वाले हैं राकेश बलवाल
एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने आईपीएस राकेश बलवाल को एजीएमयूटी कैडर से मणिपुर कैडर में वापस भेजने के गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बलवाल जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने मणिपुर पुलिस में विभिन्न पदों पर काम किया है और आखिरी बार 2017 में चुराचांदपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक थे। उन्होंने थोबल और इंफाल जैसे क्षेत्रों में भी काम किया है।
श्रीनगर के एसएसपी का पद संभाला
गौरतलब है कि राकेश ने उस समय श्रीनगर के एसएसपी का पद संभाला था जब शहर में अल्पसंख्यकों की हत्या और पुलिसकर्मियों पर हमलों सहित कई आतंकवादी गतिविधियां देखी जा रही थीं। कार्यभार संभालने के बाद, बलवाल ने शहर के भीतर कानून व्यवस्था में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि अल्पसंख्यकों या सुरक्षा बलों पर कोई हमला न हो।
राकेश के कार्यकाल में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस
उनके कार्यकाल के दौरान ही तीन दशकों के बाद श्रीनगर की सड़कों पर मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत दी गई और इस साल स्वतंत्रता दिवस समारोह में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. उनके कार्यकाल के दौरान ही G20 के पर्यटन कार्य समूह की मेजबानी जैसे कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किए गए थे।
कई पदकों से किया जा चुका है सम्मानित
बलवाल को कई पदकों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके कार्यकाल के दौरान ही मीरवाइज उमर फारूक को हाल ही में चार साल के बाद नजरबंदी से रिहा किया गया था और उन्हें ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा करने की अनुमति दी गई थी।
एनआईए में पुलिस अधीक्षक के रूप में भी कार्य किया
श्रीनगर एसएसपी का पदभार संभालने से पहले, बलवाल साढ़े तीन साल तक प्रतिनियुक्ति के आधार पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) में पुलिस अधीक्षक थे। वह 2019 पुलवामा आतंकवादी हमले की जांच करने वाली टीम का भी हिस्सा थे।
मणिपुर में जातीय हिंसा
आपको बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी. हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।