ACB against corruption : जयपुर। करप्शन के खिलाफ एसीबी के अधिकारी शिकायतें और प्राथमिकी जांच दर्ज करके अनुसंधान करना ही भूल गए। ऐसी ज्यादातर शिकायतों और प्राथमिकी जांच के मामले नए कानून के पेच में फंस गए, जबकि कई मामलों में अनुसंधान करने की स्वीकृति मिल गई तो एसीबी के अफसर उन मामलों में ही जांच ही नहीं कर रहे हैं। एसीबी के आंकड़ों की माने तो जनवरी 2018 से अगस्त 2023 तक पद का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार करने वाले अफसरकर्मचारियों के खिलाफ 804 शिकायतें और 102 प्राथमिक जांच दर्ज की है।
इनमें से एसीबी ने 522 शिकायतों और 101 प्राथमिकी जांच का तो अनुसंधान ही नहीं किया, जबकि भ्रष्टों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने के महत्वपूर्ण सबूत एसीबी के पास है। अब सवाल है कि आखिर एसीबी के अधिकारी ऐसे प्रकरणों में अनुसंधान क्यों नहीं कर रहे हैं। इससे एसीबी के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
2017 में हुआ था एक्ट में संशोधन
दरअसल भ्रष्टों के खिलाफ बनाए एक्ट में जुलाई, 2017 में संशोधन हुआ था। नए कानून में एसीबी के अफसर के वल सीधे तौर पर ट्रैप की कार्रवाई कर सकते हैं, जबकि पद का दुरुपयोग करने की शिकायत व आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं कर सकती है। इसके लिए पहले संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ पहले उसके विभाग के मुखिया से स्वीकृति लेनी पड़ती है।
दर्ज की शिकायतों में एसीबी को 15 फीसदी से ज्यादा मामलों में स्वीकृति मिल गई है, लेकिन अफसर स्वीकृति मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जबकि अन्य मामलों में शिकायत व प्राथमिकी जांच करके आगे की कार्रवाई करना ही भूल गए।
दो बार रिमाइंडर भेजा, फिर भी नहीं मिली स्वीकृति
डीओआईटी में वीडियो वॉल टेंडर प्रक्रिया समेत अन्य टेंडरों में भारी अनियमितताएं के मामले में चेयरमैन आईएएस अखिल अरोड़ा से पूछताछ करने और जांच करने के लिए कार्मिक विभाग से स्वीकृति मांगी थी, लेकिन कार्मिक विभाग ने अभी तक स्वीकृति नहीं दी है। स्वीकृति जारी देने का अधिकार कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गैरा को है।
छह साल में दर्ज शिकायत व पेंडिंग
वर्ष | दर्ज शिकायत | निस्तारण | पेंडिंग |
2018 | 387 | 238 | 1100 |
2019 | 246 | 186 | 1246 |
2020 | 124 | 50 | 1361 |
2021 | 21 | 287 | 1112 |
2022 | 10 | 203 | 628 |
2023 अगस्त तक | 16 | 49 | 522 |