जयपुर। देश में पिछले कई दिनों से चक्रवाती तूफान विपरजॉय (Biporjoy) ने हड़कंप मचा रखा है। अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान तटवर्ती इलाकों को तहस-नहस करते हुए अब आगे बढ़ चुका है। गुजरात के अनेक राज्यों में तूफान से तबाही का मंजर देखने को मिला रहा है। अब अब राजस्थान में भी इसका असर दिख रहा है। उधर, ज्यातिषियों की माने तो विपरजॉय तूफान दो क्रूर ग्रहों की युति का परिणाम है। जल और अग्नि तत्व के इन ग्रहों की एक राशि में हुई युति ने जहां मौसम के परिसंचरण तंत्र को प्रभावित किया है, वहीं आगामी कुछ दिनों तक मौसम का यहीं हाल रहने वाला है।
झोटवाड़ा रोड स्थित पीपलेश्वर महादेव मंदिर के महंत और ज्योतिष मर्मज्ञ पं. केदारनाथ दाधीच ने बताया कि कर्क राशि में शुक्र और मंगल की युति ने मौसम में उथल-पुथल मचा दी है। पिछले दिनों मौसम के बदलाव का क्रम उन ग्रहों की कर्क राशि में मिलन के साथ ही शुरू हो गया था। मंगल ने 10 मई को दोपहर 1:46 बजे कर्क राशि में प्रवेश किया था। वहीं, शुक्र का 30 मई की रात 7: 38 बजे कर्क राशि में प्रवेश हुआ था। इससे पहले शुक्र का मिथुन राशि में गोचर हो रहा था जो भी मौसम में बदलाव का कारण बना। अब 1 जुलाई तक मंगल और शुक्र कर्क राशि में रहेंगे, तब तक आंधी, बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है।
मंगल वर्षा कारक और वर्षा हारक दोनों स्वभाव का ग्रह
ज्योतिषी पं. दाधीच ने बताया कि पिछले दिनों असुर गुरु शुक्र और देवताओ के सेनाप ं ति मंगल की कर्क राशि में युति हुई है। ये दोनों ही क्रूर ग्रह माने गए हैं। इसके चलते वातावरण में बदलाव के साथ ही मौसम में उठा-पटक की स्थिति बनी है। हाल ही में आया चक्रवाती तूफान विपरजॉय भी इसी का परिणाम है। उन्होंने बताया कि मंगल वर्षा कारक अौर वर्षा हारक दोनों स्वभाव का ग्रह है। यह ग्रह अग्नि तत्व का ग्रह है। मंगल के दुष्प्रभाव से युद्ध, दुर्घटनाएं, प्राकृतिक आपदा और भीषण वर्षा होने या वर्षा नहीं होने की संभावना बनती है। वहीं, शुक्र जल तत्व का ग्रह है। ऐसे में अग्नि तत्व और जल तत्व के एक जगह संगम से समुद्र में उफान और चक्रवाती तूफान जैसे हालात पैदा होते हैं।
सायन सूर्य और शुक्र ने रोकी थी नौतपा की तपिश
पिछले दिनों 25 मई को सूर्य के राेहिणी नक्षत्र में प्रवेश के बाद शुरू हुए नौतपा के दौरान भी गर्मी नहीं पड़ी। ज्योतिषी इसका कारण सायन सूर्य और शुक्र और मंगल को मान रहे हैं। इन ग्रहों के प्रभाव ने नौपता में रोहणी को गला दिया। इसके चलते नौतपा के दौरान भी आंधी, बारिश और आले गिरने का दौर चला। ज्योतिषी पं. शोभित शर्मा ने बताया कि सायन सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश 11 मई को हुआ था। इससे पहले 2 मई को शुक्र का मिथुन राशि में गोचर हुआ था। ऐसे में ऐसे में सूर्य, शुक्र और मंगल की कर्क राशि में स्थिति ने मौसम तंत्र काे प्रभावित किया था। इसके चलते नौपता की तपिश कायम नहीं रह सकी। ग्रहों के प्रभाव से मौसका का हाल 1 जुलाई तक ऐसा ही रहने की संभावना जताई जा रही है।
नीच राशि में मंगल की शुक्र से युति का असर
ज्योतिषाचार्य पं. प्रमोद शर्मा ने बताया कि मंगल ग्रह की अपनी नीच राशि कर्क में शुक्र से हुई युति का प्रकृति पर नकारात्मक असर बना है। मंगल अग्नि तत्व और शुक्र जल तत्व राशि होने से समुद्र में तूफान की स्थिति बनी है। मंगल और शुक्र की युति का प्रभाव 1 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद मंगल ग्रह का सिहं राशि में प्रवेश होगा। 17 जून को शनि का वक्री होना भी तूफान और बारिश का एक कारण है। यह असर ज्यादा दिन तक नहीं रहेगा। ग्रहों की इस तूफानी युति के असर को रोकने के लिए जनमानस को महामृत्युंजय मंत्र का जाप और भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।