बांधों की सुरक्षा के लिए जुटे देश-विदेश के दिग्गज, उपराष्ट्रपति बोले-जल है तो कल…यह स्लोगन मात्र नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जो कहते हैं कि मेरी मर्जी मेरा पैसा, में चाहे जितना पानी काम में लूं, मैं चाहे जितना पेट्रोल काम में लूं। वह अपने फंडामेंटल राइट्स और अपनी ड्यूटीज भूल गए हैं।

image 2023 09 15T083935.173 | Sach Bedhadak

International Conference on Dam Safety : जयपुर। जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में बांध सुरक्षा पर दो दिवसीय ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन डैम सेफ्टी’ का आगाज गुरुवार को हुआ। इस कार्यक्रम का शुभारंभ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने घड़े में जल भरकर किया। 

इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जल संरक्षण क़ो जन आंदोलन बनाना होगा। यही उपाय जल बचाने का है। जो कहते हैं कि मेरी मर्जी मेरा पैसा, में चाहे जितना पानी काम में लूं, मैं चाहे जितना पेट्रोल काम में लूं। वह अपने फंडामेंटल राइट्स और अपनी ड्यूटीज भूल गए हैं। धनखड़ ने कहा कि जल है तो कल है यह कोई स्लोगन नहीं, बल्कि एक सीरियस मैटर है। 

कई राज्यों के बीच चल रहा है जल विवाद 

जल के कारण आज कई राज्यों में राज्यों में विवाद चल रहा है और इस विवाद का कोई हल ही निकल पा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान का हरियाणा और पंजाब से दशकों से जल विवाद चल रहा है।

उन्होंंने मंच पर मौजूद कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता कि पानी का विवाद क्या होता है। धनखड़ ने खुद को किसान पुत्र बताते हुए कहा कि मुझे पानी का महत्व पता है।

बांध टूटने का असर अर्थव्यवस्था पर

केद्रींय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने कहा कि बांध टूटने की घटनाओं से मानव जीवन खतरे में आता है और चुनौती आती है। इसलिए बांधो की सुरक्षा जरूरी हैं। गत सालों में 42 बांध टूटे और बांध टूटना राष्ट्रीय लेवल पर शर्मिंदगी का परिचायक हैं। इस घटना से पूरा सरकारी तंत्र सवालों के घेरे में आता है। देश की अर्थव्यवस्था भी चौपट होती है। 

उन्होंने कहा कि मोचू के बांध टूटने के बाद गठित कमेटी ने रिपोर्ट दी, लेकिन 40 साल तक उस रिपोर्ट पर अमल नहीं किया गया। चालीस साल बाद पीएम मोदी ने काम किया और 2021 में डेम सेफ्टी एक्ट बनाया। छह हजार से अधिक बांधों के साथ भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। 

इन बड़े बांधों में से लगभग 80% बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 234 बांध तो शताब्दी पार कर चुके हैं। इस दौरान त्रिपुरा के सीएम माणिक साहा, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय और मुख्य सचिव उषा शर्मा मौजूद रहे।

ये खबर भी पढ़ें:-PWD के घूसखोरों की ACB ऑफिस में खातिरदारी, आरोपियों से मिलने के लिए दिनभर लगा रहा तांता