Rajasthan Election 2023 : राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर टोंक विधानसभा चर्चा का विषय बनी हुई है। यह सीट साल 2018 में भी सचिन पायलट की वजह से काफी चर्चित रही थी, क्योंकि इस सीट से सचिन पायलट ने चुनाव जीता था। हालांकि, इस बार भी सचिन पायलट कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ने वाले है। लेकिन, इस बार चर्चा की वजह सचिन पायलट नहीं…कुछ और ही है।
वैसे तो टोंक विधानसभा क्षेत्र में साल 1980 से अब तक दो ही पार्टियों का वर्चस्व रहा है। कभी यहां कांग्रेस तो कभी बीजेपी जीतती आई है। लेकिन, इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की भी चुनावी रण में एंट्री हो चुकी है। ऐसे में यह तो साफ है कि कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के समीकरण भी थोड़े गड़बड़ा सकते है। क्योंकि टोंक क्षेत्र में मुस्लिमों की तादात बहुत ज्यादा है। हालांकि, यह तो जनता ही तय करेगी कि यहां से किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधता है।
मुस्लिम वोटर्स पर ओवैसी की नजर…
टोंक विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटर्स की संख्या 2 लाख 51 हजार 878 है। जिनमें से पुरुष 1 लाख 29 हजार 7 और महिलाएं 1 लाख 22 हजार 871 है। खास बात ये है कि यहां पर करीब ढाई लाख वोटर्स में सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिम और गुर्जर वोटर्स की है। जानकारों की मानें तो ओवैसी राजस्थान एआईएमआईएम के महासचिव काशिफ जुबेरी को टोंक से चुनाव लड़ा सकते हैं। ऐसे में यह तो साफ है कि इससे पहले कांग्रेस को काफी नुकसान होगा। हालांकि, साल 2018 में हुए चुनाव की बात करें तो मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को भरपूर समर्थन दिया था। लेकिन, ओवैसी इस बार मुस्लिम वोटर्स को अपनी ओर करने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले है। ऐसे में देखना ये होगा कि क्या पायलट के गढ़ में ओवैसी सेंध लगाने में कामयाब हो पाएंगे या नहीं?
बीजेपी ने बिधूड़ी को भेजा…लेकिन पायलट की टोंक में पकड़ मजबूत?
इधर, बीजेपी ने पायलट के गढ़ में रमेश बिधूड़ी को भेजकर कुछ नया ही प्लान बनाया है। दरसअल, बीजेपी ने बिधूड़ी को टोंक जिले का प्रभारी बनाया है। ये वही बिधूड़ी है, जिन्होंने पिछले दिनों संसद में बीएसपी सांसद दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। लेकिन, वो गुर्जर समुदाय से आते है और टोंक में गुर्जरों की तादात करीब 14 फीसदी है। ऐसे में गुर्जर समाज के जो लोग पायलट से खफा हैं, उन्हें बीजेपी की ओर करने के लिए बिधूड़ी को टोंक भेजा गया है। हालांकि, बिधूड़ी के संसद के विवादित बयान को आधार बनाकर एआईएमआईएम ने उनका विरोध किया था।
दूसरी बात ये है कि बीजेपी ने साल 2018 में यूनूस खान को टिकट दिया था। लेकिन, वो मुस्लिम वोटर्स को रिझाने में नाकामयाब साबित हुए थे। ऐसे में अब बीजेपी ने प्लान बनाया है कि मुस्लिम नहीं तो क्या गुर्जर वोटर्स को तो अपनी ओर किया जा सकता है। लेकिन, यह साफ है कि पायलट की टोंक में पकड़ अब मजबूत हो चुकी है। ऐसे में बीजेपी कैसे पार पाएगी, ये बड़ा सवाल है?
बीजेपी के महावीर तीन बार तो कांग्रेस की जकिया दो बार रही एमएलए
साल 1977 से अब तक की बात करें तो एक बार ही ऐसा मौका आया जब जेएनपी ने टोंक में कब्जा जमाया था। लेकिन, उसके बाद से कुछ ऐसा रहा कि कभी कांग्रेस को कभी बीजेपी टोंक में जीतती आई। बीजेपी के महावीर प्रसाद सबसे ज्यादा बार तीन बार विधायक चुने गए। वहीं, कांग्रेस की जकिया दो बार टोंक की विधायक बनी। इन दोनों के अलावा सभी एक-एक बार ही विधायक बन पाए। ऐसे में सवाल ये है कि क्या सचिन पायलट दो बार विधायक रही जकिया की बराबरी करने में कामयाब हो पाएंगे।
अब कैसा रहा है टोंक का चुनावी इतिहास?
चुनावी आंकड़ों के मुताबिक साल 1977 में जेएनपी के अजीत सिंह पहली बार टोंक में विधायक चुने गए। साल 1980 में बीजेपी के महावीर प्रसाद, 1985 में कांग्रेस के जाकीया इम्एमएम, 1990 व 1993 में बीजेपी के महावीर प्रसाद, 1998 में कांग्रेस की जकिया, 2003 में बीजेपी के महावीर, 2008 में कांग्रेस की जकिया, 2013 में बीजेपी के अजीत सिंह और 2018 में कांग्रेस के सचिन पायलट विधायक चुने गए।
ये खबर भी पढ़ें:-Bagru Vidhan Sabha : अब तक रहा गजब संयोग…इस सीट पर जो जीता, सत्ता में आई उसकी पार्टी