जयपुर। प्रदेश भर के शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है। शिक्षकों के विभिन्न संगठन आज शिक्षा विभाग में संविदा के बजाय नियमित भर्ती करने, तृतीय श्रेणी शिक्षकों के स्थानांतरण, वेतन विसंगति दूर करने और शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने जैसी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करेंगे।
राजस्थान शिक्षक संघ ने विधानसभा सत्र में उनकी मांगों पर सुनवाई करते हुए निस्तारण करने की मांग की है। संगठन के जिला मंत्री ताराशंकर शर्मा ने बताया कि 11 सूत्री मांगों को लेकर शिक्षक दो चरण पूरे कर चुके हैं। अब भी सरकार नहीं चेती तो तीसरे चरण में राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि सरकार इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल रही है, लेकिन उसमें संविदा पर शिक्षकों को लगाया जा रहा है।
सरकार को इन पदों पर नियमित भर्ती करनी चाहिए। शिक्षकों से 12 महीने गैर शैक्षणिक कार्य कराए जा रहे हैं, इससे शिक्षा प्रभावित हो रही है। सरकार स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सबसे पहले शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य मुक्त करने का काम करें।
मंत्री पर प्रबोधक कैडर की उपेक्षा करने का आरोप
25 हजार प्रबोधकों की गैर वित्तीय मांगों को पूरा नहीं करने पर प्रबोधकों में सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। प्रबोधक शिक्षकों ने मंत्री पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य कर्मचारियों को पदोन्नति के पांच अवसर दिए जा रहे हैं तो प्रबोधकों को भी 5 अवसर देते हुए मुख्यमंत्री अपने बजट में इसकी घोषणा करें।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में ओपीएस स्कीम तो लागू की है, लेकिन राज्य के 90% प्रबोधकों को इसका पूरा लाभ नहीं मिलेगा। उनका कहना है कि अधिकांश प्रबोधकों की सेवाएं पेंशन योग्य 25 वर्ष नहीं हो रही है। इसलिए नियमितीकरण से पहले की सेवा भी प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाए, ताकि प्रदेश के 25 हजार प्रबोधकों को पूरी पेंशन का लाभ मिल पाए।
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तबादलों की मांग को लेकर अनशन की चेतावनी
थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों की मांग को लेकर शिक्षक एक बार फिर एकजुट होकर आंदोलन करने जा रहे हैं। राजस्थान एकीकृत शिक्षक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष हरपाल दादरवाल के नेतृत्व में23 मार्चको जयपुर में शहीद स्मारक पर आमरण अनशन किया जाएगा। दादरवाल ने बताया कि बीते चार वर्ष से थर्ड ग्रेड शिक्षक तबादलों की राह देख रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। संगठन द्वारा पहले भी जयपुर से लेकर दिल्ली तक धरने प्रदर्शन किए, लेकिन सरकार ने नहीं सुनी। अब आखिरी रास्ता अनशन होगा।