Student Union Election : जयपुर। राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पर रोक के बाद छात्र नेता और स्टूंडेट्स लामबंद हो गए है। एक ओर रविवार को दिनभर छात्रों के विरोध-प्रदर्शन कर दौर चल तो दूसरी ओर अब सभी छात्र नेताओं और संगठनों ने सामूहिक धरने का ऐलान किया है। छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को लेकर छात्र नेता रविवार देर रात तक राजस्थान यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट पर धरने पर बैठे रहे। इस दौरान वो नेता भी शामिल रहे, जो शाम 6 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने के लिए गया था। छात्र नेताओं को कहना है कि जब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती, तब तक विरोध जारी रहेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान यूनिवर्सिटी सहित अन्य कॉलेजों में आज भी सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन देखने को मिलेगा।
चुनाव नहीं करवाए जाने के आदेश की जानकारी छात्र नेताओं को रविवार सुबह मिली। इसके बाद प्रदेशभर के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में धमाचौकड़ी का सिलसिला शुरू हो गया। राज्य सरकार द्वारा शनिवार देर रात जारी छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ सुबह से हीप्रदेश भर में छात्र संगठन विरोध में उतर गए। प्रदेशभर में एबीवीपी ही नहीं, कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने भी विरोध जताया।
प्रतिनिधि मंडल ने सीएम के ओएसडी से की बात
एनएसयूआई के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच कर उनके ओएसडी से बात कर उन्हें अवगत कराया कि छात्रसंघ चुनाव नहीं होने की स्थिति में विस चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होने की बात कही। इस बीच कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के बाहर पुलिस बल को तैनात रहा। राजस्थान विश्वविद्यालय में रविवार देर रात तमाम छात्र संगठनों ने छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग को पूरा कराने के लिए संयुक्त मोर्चें के गठन कर आंदोलन का ऐलान किया।
विपक्ष ने बोला सरकार पर हमला
भाजपा ने इस मसले पर कांग्रेस सरकार को बयानों के जरिए घेरने का प्रयास किया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित विपक्ष के कई नेताओं ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के उल्लंघन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होने का हवाला देने वाली राज्य सरकार की मंशा चुनाव कराने की है ही नहीं, क्योंकि सरकार भली भांति समझ गई है कि युवा कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई को वोट नहीं देगा, इसलिए चुनाव ही नहीं करवाए जा रहे हैं। राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल व सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी सरकार के आदेश का विरोध किया।
सरकार ने कुलपतियों से 8 बिंदुओं पर मांगे थे सुझाव
राज्य सरकार ने कुलपतियों से छात्र संघ चुनाव को लेकर 8 बिन्दुओं पर सुझाव मांगे थे। इनमें परीक्षा समय पर करवाने और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को लागू करने जैसे बिन्दु शामिल थे। इस पर मिली रिपोर्ट के बाद सरकार ने इस वर्ष चुनाव नहीं करवाने का ऐलान किया। सूत्रों के अनुसार 16 सरकारी विश्वविद्यालयों ने चुनाव करवाने को लेकर असमर्थता जताई थी।
जानकारी के अनुसार ज्यादातर कुलपतियों ने सुझाव में लिखा कि विधानसभा चुनाव इसी साल है और फिलहाल जिस तरह से छात्र नेताओं की तरफ से प्रचार किया जा रहा है, वह लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के पूरी तरह से खिलाफ है। यदि चुनाव होते हैं तो परीक्षा की तिथियों और क्लासेज पर भी असर पड़ने की संभावना है।
तमाम कुलपतियों ने विवि में ओपीएस की मांग को लेकर शैक्षणिक और अशैक्षणिक कर्मचारियों के आंदोलन की भी बात कही। सरकार ने कुलपतियों के सुझावों के बाद वीसी जरिए विचार मंथन भी किया, लेकिन वह बेनतीजा रहा।
पहले भी कई बार नहीं हुए चुनाव
प्रदेश में साल 2004 से 2009 तक हाई कोर्ट की रोक के कारण छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे। लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें लागू कर 2010 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने ये चुनाव करवाने शुरू किए थे। कोरोना के कारण वर्ष 2020 और 2021 में भी चुनाव नहीं हुए थे।
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