Upen Yadav: राजस्थान में विधानसभा चुनावों के नजदीक आने के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में अब टिकटों को लेकर पशोपेश चल रही है जहां अपने-अपने इलाकों से नेता दावेदारी पेश कर रहे हैं. इसी सिलसिले में सक्रिय नेताओं के अलावा रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी, आंदोलनकारी और कई मोर्चों के मुखिया चुनावी किस्मत आजमाने की कवायद कर रहे हैं जहां हर किसी ने अपनी विधानसभा भी तय कर रखी है. इसी कड़ी में राजस्थान एकीकृत बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव और बेरोजगारों के नेता भरत बेनीवाल और मनोज मीणा चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं.
हालांकि उपेन यादव ने चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि वह अक्टूबर में अंतिम निर्णय लेंगे. मालूम हो कि बीते दिनों सरकार के खिलाफ एक आंदोलन करने के दौरान बेरोजगारों ने उप-चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था हालांकि बाद में उन्होंने फैसला बदल लिया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उपेन यादव मूल रूप से शाहपुरा के मनोहरपुर के रहने वाले हैं और वह शाहपुरा से ही लड़ने का विचार कर रहे हैं. उपने ने अपनी चुनावी पारी के लिए कहा कि वह अक्टूबर में अपनी आगे की रणनीति को लेकर खुलासा करेंगे.
अक्टूबर में बताऊंगा रणनीति : उपेन
उपेन ने चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि फिलहाल मेरा अभी एक ही लक्ष्य है आचार संहिता से पहले ज्यादा से ज्यादा नई भर्तियां निकलवाना और लंबित भर्तियों पूरा करवाना. उन्होंने कहा कि चुनावों को लेकर जो भी निर्णय लेना है वह अक्टूबर में लूंगा अभी आचार संहिता लगने में बहुत कम समय बचा है ऐसे में मुझे अभी युवाओं के भविष्य के लिए लड़ना है.
उपेन ने कहा कि नई और लंबित भर्तियों को लेकर एक भी नेता, राजनेता युवा बेरोजगारों की भविष्य के लिए नहीं बोल रहा है और सब युवाओं के भविष्य को भूलकर अपने भविष्य के लिए चुनावों में बिजी है, लेकिन मुझे मेरे भविष्य की चिंता नहीं मुझे केवल राजस्थान के 40 लाख शिक्षित युवा बेरोजगारों के भविष्य की चिंता है जिनके लिए मैं भविष्य में भी संघर्ष करता रहूंगा.
10 साल से बेरोजगारों के लिए संघर्ष
बता दें कि उपेन पिछले 10 साल से लगातार बेरोजगारों के हकों की आवाज बनकर आंदोलन कर रहे हैं और वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सरकारों में युवाओं के हकों के लिए सड़क पर उतरते रहे हैं. बताया जाता है कि उपेन के एक आह्वान पर प्रदेश भर के हजारों बेरोजगार जुट जाते हैं.
दरअसल सबसे पहले उपेन ने साल 2012 में रीट पेपर में गड़बड़ी के बाद सरकार के खिलाफ आवाज उठाई जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बेरोजारों के हकों के लिए लड़ते हुए धीरे-धीरे वह युवाओं के बीच काफी फेमस हो गए और इसके बाद लगातार वह पिछले 10 सालों से बेरोजगार युवाओं की आवाज बनकर खड़े हैं.