जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने तक भी विपक्षी दल बीजेपी में चेहरे को लेकर अभी तक संशय बना हुआ है. दिल्ली से बीजेपी नेताओं जिनमें खुद पीएम मोदी शामिल है उनको दौरे शुरू हो गए हैं और पार्टी चुनावी मोड में दिख रही है लेकिन चेहरे को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं हुआ है. इसी बीच सूबे के सियासी गलियारों में पिछले 2 दिनों से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के दिल्ली जाने की चर्चाएं जोरों पर है.
राजे ने मंगलवार को बीजेपी मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी. एल. संतोष और पार्टी के महासचिव और राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह से मुलाकात की. हालांकि पार्टी के कई नेताओं ने इसे अनौपचारिक मुलाकात बताया लेकिन राजस्थान में चुनावों के लिहाज से इस मुलाकात को अहम माना जा रहा है. इधर राजे के दिल्ली जाते ही उन्हें कोई जिम्मेदारी मिलने की सुगबुगाहट तेज हो गई है.
मालूम हो कि बीते दिनों बीजेपी आलाकमान ने मेवाड़ के बड़े नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया और इसके बाद सतीश पूनिया की जगह सीपी जोशी को नया पार्टी का मुखिया बनाया और राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी. इन तीन बदलावों के पार्टी के राज्य संगठन में कोई बदलाव नहीं हुआ. अब बताया जा रहा है कि पार्टी चुनावों से पहले संगठन में कई बदलाव कर सकती है.
राजे की जिम्मेदारी को लेकर अटकलें
हालांकि चुनावों के नजदीक आने के साथ ही नेताओं के दौरे और बयानों से राजनीतिक कयास लगाए जाते हैं लेकिन बीजेपी के ही कई सीनियर नेता कई बार कह चुके हैं कि राज्य में चुनाव पीएम मोदी के चेहरे और उनकी योजनाओं पर ही लड़ा जाएगा. वहीं पीएम मोदी के हाल में 5-6 दौरे हुए जिनमें भी उन्होंने सीएम फेस को लेकर कोई संकेत नहीं दिए थे.
इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष सहित बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता राजस्थान में आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर मंथन कर रहे हैं. ऐसे में राजे से मुलाकात को राज्य का सियासी फीडबैक लेने के तौर पर देखा जा रहा है. इसके अलावा माना जा रहा है कि राजे को बीजेपी चुनाव अभियान कमेटी की जिम्मेदारी दे सकती है!
मालूम हो कि कर्नाटक के चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा जहां रीजनल क्षत्रपों को दरकिनार करने का नुकसान पार्टी को झेलना पड़ा ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी के लिए राजे को दरकिनार करना इतना आसान नहीं होगा.
CM फेस पर खत्म होगी गुटबाजी!
गौरतलहब है कि बीते दिनों अपने जन्मदिन और कई मौकों पर राजे ने यह दिखाने की कोशिश की है जहां वह आज भी सूबे में मजबूत है और उनके बिना चुनावों में राह उतनी आसान नहीं होगी. वहीं चुनावों से पहले आलाकमान भी बीजेपी में सीएम फेस को लेकर गुटबाजी पर लगाम लगाना चाहता है जहां कांग्रेस में गहलोत सरकार की योजनाओं को लेकर चारों तरफ चर्चा है. ऐसे में बीजेपी सरकार को घेरने के साथ ही अपनी अंदरूनी गुटबाजी भी दूर करना चाहती है.