जयपुर। डीजीपी उमेश मिश्रा के वीआरएस लेने के बाद शनिवार को डीजी यूआर साहू ने डीजीपी पद का अतिरिक्त कार्यभार संभाल लिया। खास बात है कि उमेश मिश्रा ऐसे पहले डीजीपी है, जिनको पिछले दो दशक में पहली बार गार्ड ऑफ ऑनर दिए बिना और उनकी कार को रस्सों से बांधकर खींचे बिना ही पुलिस मुख्यालय से विदा कर दिया गया, जबकि हर बार डीजीपी के रिटायरमेंट या फिर उसके वीआरएस लेने पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है और रस्सों से कार को खींचकर मुख्यालय के बाहर तक छोड़ने की रस्म अदा की जाती है। पदभार भी एक-दूसरे को सौंपा जाता है, लेकिन मिश्रा ने शुक्रवार शाम को वीआरएस देने के बाद ही मुख्यालय छोड़ दिया और अफसरों ने भी विदाई समारोह करना उचित नहीं समझा।
पुलिस मुख्यालय में यूआर साहू की चार साल बाद एंट्री हुई हैं। चार्ज लेने के बाद साहू ने पुलिस अफसरों से मुलाकात की और डीजीपी कॉन्फ्रेंस की तैयारियों को लेकर अफसरों के साथ मीटिंग की है। पदभार ग्रहण करने के बाद पुलिस मुख्यालय में डीजीपी यूआर साहू को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। साहू राजस्थान पुलिस के 36वें डीजीपी हैं। वर्ष 1988 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजीपी साहू का कार्यकाल 6 महीने का है। 6 महीने बाद वे रिटायर हो रहे हैं।
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अपराधों पर नियंत्रण को प्राथमिकता
डीजीपी साहू ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुसार दिशा-निर्देश और प्राथमिकताओं के आधार पर अपराध नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों, गैंगवार व साइबर अपराधों की रोकथाम की दिशा में वें पूरी टीम को साथ लेकर आमजन को राहत देने का प्रयास करेंगे।
साइबर क्राइम को लेकर डीजीपी ने कहा कि इसमें पब्लिक अवेयरनेस जरूरी है, अगर लोग सचेत रहें तो साइबर क्राइम में काफी कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि अवैध मादक पदार्थों व अवैध शराब काे लेकर पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से की जा रही कार्रवाई को आगे भी जारी रखा जाएगा।
मिश्रा ने दिन में अफसरों के साथ की मीटिंग, CM के दिल्ली जाने के बाद VRS
पड़ताल में सामने आया कि शुक्रवार शाम तक पूर्व डीजीपी उमेश मिश्रा पुलिस मुख्यालय के आला अधिकारियों के साथ अलग-अलग समय में डीजीपी कॉन्फ्रेंस को लेकर मीटिंग कर रहे थे। तब तक ऐसा कुछ नहीं था कि मिश्रा वीआरएस लेंगे। सूत्रों ने बताया कि शाम 6 बजे बाद मुख्यमंत्री भजनलाल दिल्ली के लिए रवाना हुए थे।
जब मुख्यमंत्री दिल्ली पहुंच गए थे तो उसके करीब एक घंटे बाद मिश्रा ने वीआरएस के लिए आवेदन किया और उनके वीआरएस को तत्काल मंजूर भी कर लिया। ऐसे में चर्चा है कि दिल्ली से फोन आने के बाद मिश्रा ने सम्मानजक पद से रिटायर्ड होने के लिए वीआरएस लिया है। अगर मिश्रा वीआरएस नहीं लेते तो उनको हटाकर सरकार होमगार्ड या फिर ऐसे पद पर लगाती, जहां पर कोई भी अधिकारी कार्यरत नहीं रहना चाहता है। मिश्रा ने कांग्रेस सरकार में संकटमोचन की भूमिका निभाई थी।
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