जयपुर। राजस्थान बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ताबड़तोड़ जिलों के दौरे कर रहे हैं। आज वे टोंक के दौरे पर रहे तो कोटा से होते हुए वे आज चित्तौड़गढ़ जा रहे हैं। कल चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और जयपुर में जनाक्रोश यात्रा को लेकर दौरे पर रहेंगे। अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही सीपी जोशी काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं। वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर मेल-जोल बढ़ा रहे हैं, साथ ही संगठनात्मक बातचीत भी कर रहे हैं।
बहुत कुछ कह रही है वसुंधरा राजे से मुलाकात
पहले उन्होंने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नवनियुक्त विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ से मुलाकात की। तो अब उन्होंने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की। उन्होंने राजे से मुलाकात की फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की है। जिसमें उन्होंने लिखा की कल शाम को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिंधिया से उनके आवास पर भेंट की तथा उनसे संगठनात्मक विषयों पर चर्चा की।
खत्म हुई आंतरिक गुटबाजी
प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ वसुंधरा राजे की यह फोटो भाजपा की प्रादेशिक राजनीति के कई मायने बता रही है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अब प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच कोई गुटबाजी जैसी चीज नहीं होगी। क्योंकि काफी दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम के बीच की ऐसी तस्वीर सामने आई है।
क्योंकि अब तक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ वसुंधरा राजे की इस तरह की तस्वीर कभी ही देखी जाती थीं। इन दोनों के बीच की गुटबाजी के किस्से दिल्ली तक मशहूर हुए थे। जिसे लेकर आए दिन दिल्ली का केंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी को दूर करने की कोशिश करता रहता था।
गहलोत जैसे मजबूत चेहरे के सामने भाजपा का ‘प्लस प्वाइंट’
लेकिन अब दिल्ली के ही मंत्री को प्रदेश अध्यक्ष के का कार्यभार देने के बाद केंद्रीय नेतृत्व का कि यह समस्या का भी हल हो चुका है। माना जाता है कि सांसद सीपी जोशी कि दिल्ली के नेताओं से काफी बनती है। साथ ही उनके वसुंधरा राजे के साथ भी रिश्ते काफी अच्छे हैं। ऐसे में भाजपा राजस्थान विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत जैसे मजबूत चेहरे के सामने गुटबाजी को दूर रखकर जा सकती है। जो पार्टी का एक प्लस प्वाइंट भी होगा।
पूनिया को भी साथ लेकर चल रहे हैं सीपी जोशी
प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी वसुंधरा के साथ ही पूनिया को भी साथ लेकर चल रहे हैं। क्योंकि उनसे हुई मुलाकात और उनके गुट के नेताओं से मुलाकात कर वे सभी को साथ ला रहे हैं। जो कि पार्टी को एकजुट होता हुआ दिख रहा है। बीते शनिवार को भाजपा के जयपुर ब्लास्ट के खिलाफ सरकार को घेरने को लेकर हुए धरना प्रदर्शन में वसुंधरा और पूनिया गुट के नेताओं ने भी हिस्सा लिया था। जिससे यह माना जा रहा था कि अब भाजपा में जो आंतरिक गुटबाजी थी वह धीरे-धीरे पूनिया के जाते ही खत्म हो रही है। जिससे अब भाजपा चुनाव में एक होकर अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी।
मुख्य जातियों को आखिर साध गई बीजेपी !
इसमें दो राय नहीं है कि बीजेपी ने पूनिया को अध्यक्ष पद से हटाकर अपनी प्रदेश में सबसे बड़ी समस्या का समाधान किया है और साथ ही जातिगत समीकरण को भी साधा है। सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर उन्होंने विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कल सौंप दी है और पहले उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे राजेंद्र राठौड़ को अब नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार दे दिया गया है। जिससे बीजेपी ने जाट, राजपूत और ब्राह्मण जातियों को भी साध लिया है।