जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनावों की अधिसूचना जारी होने के साथ ही राज्य में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। चुनावों के कारण प्रदेश के कारोबार और उद्योग धंधों पर भी असर पड़ेगा और यह पूरी संभावना है कि अगले दो माह राज्य में ना केवल नए निवेश पर विराम लगेगा, बल्कि जो इकाइयां विस्तार योजनाओं पर कार्य कर रही हैं, वे भी कुछ समय रुक कर नई सरकार की प्रतीक्षा करेंगी। चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद यह तो तय है कि प्रदेश में वसूले जा रहे कर में जहां किसी तरह की राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, वहीं राहत की बात यह भी है कि नए कर भी नहीं लगाए जा सकेंगे।
चुनाव की घोषणा के साथ ही अब इवेंट मैनेजमेंट, कम्प्यूटर एप्लीकेशन, ट्रांसपोर्ट सेवाओं से जुड़े लोगों की व्यस्तता बढ़ने वाली है। स्थिति यह हो गई है कि चुनावी रैलियों से लेकर चुनाव तैयारियों से संबंधित बैठकों के लिए भी उम्मीदवारों को इवेंट मैनेजमेंट करने वालों की जरूरत पड़ेगी जिससे समय पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएं। कुछ स्मार्ट संभावित उम्मीदवारों ने तो इनकी उपलब्धता में कमी को देखते हुए कुछ रुपए एडवांस देकर अग्रिम बुकिंग तक करवा ली। इसी तरह चुनावों के कारण बड़े नेताओं के हवाई दौरों के लिए हैलिकॉप्टर, टैक्सी और छोटी-बड़ी बसों की मांग में भी खासी वृद्धि होने की उम्मीद है। इससे आशंका यह है कि इन सभी सेवाओं और सुविधाओं के मौजूदा दाम में और वृद्धि होगी।
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पैदा होंगे नए कारोबारी अवसर
इस बार चुनावी खर्च में और बढ़ोतरी होने की आशंका है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और श्रम लागत में वृद्धि के कारण इस साल होने वाले चुनावों में उम्मीदवारों को अधिक धन राशि खर्च करने की जरूरत पड़ेगी। हर बार की तरह इस बार भी सर्वाधिक खर्च प्रचार में होगा, लेकिन प्रचार की प्राथमिकताएं बदलेंगी और चुनावी विज्ञापन, होर्डिंग, पोस्टर, झण्डे, रिकॉर्डेड वॉयस मैसेज आदि पर ही पारम्परिक प्रचार के न्द्रित रहेगा। तकनीक का उपयोग कर मतदाताओं से सीधे सम्पर्क स्थापित करने में सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पक्ष में मतदान की अपील के वीडियो एक नया प्रयोग हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि चुनावों में सबसे अधिक जरूरत उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने और चुनावों के लिए सहयोग जुटाने वालों होती है, ऐसे में स्वच्छ छवि के लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए उम्मीदवार हर तरह से प्रयास करता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि राज्य में विधानसभा चुनावों की शुरुआत के साथ ही कु छ नए कारोबारी अवसर भी निकलेंगे, जिनका ना के वल इस चुनावी मौसम में, बल्कि अपनी योग्यता के अनुसार लम्बे समय तक लाभ उठाया जा सकता है।
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एआई के जानकारों की बढ़ेगी मांग
तकनीक और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के कारण इस बार विधानसभा चुनावों में चुनावी रणनीति से लेकर उम्मीदवारों को अपनी बात संभावित मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का अधिक सहारा लेना होगा। इसके लिए कम्प्यूटर की जानकारी रखने वाले युवाओं की जरूरत होगी, जिससे यह माना जा सकता है कि आने वाले समय में हर कीमत पर ऐसे युवा जिन्हें कम्प्यूटर का पूरा ज्ञान है, सोशल मीडिया अकाउंट को हैंडल कर सकते हैं, को जोड़ने के लिए उम्मीदवार कु छ भी राशि खर्च कर देंगे। इसी तरह चुनावी रणनीति और युवाओं को आकर्षित करने के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग भी बढ़ेगा। इससे एआई का ज्ञान रखने वाले युवाओं को रोजगार के लिए अतिरिक्त अवसर मिलेंगे।
विमल कोठारी की रिपोर्ट