झालावाड़। राजस्थान में पानी की कीमत क्या है वो यहां रहने वाला एक-एक बच्चा भी जानता है। लेकिन अब पानी की एक-एक बूंद सहेजना भी दुश्वार हो गया है क्योंकि अब जो पानी सहेजा जा रहा है वो जल नहीं जहर है। जो प्रदेश के झलावाड़ के कई तहसीलों में रहने वाले वाशिंदों की नसों में घुल रहा है। फसलों को भी इसी जहर से सींचा जा रहा है। आखिर इतनी बड़ी आबादी इस जहर को पीने को क्यों मजबूर है दिखाते हैं आपको इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में…
राजस्थान की 14 नदियों में बह रहा ‘जहर’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान की 14 नदियों में ‘जहरीला’ पानी बह रहा है। देश की 279 नदियों में से 311 प्रदूषित खंडों की पहचान की गई है। राजस्थान की बनास, जवाई, चंबल, बांडी, कोठारी, लूणी, गंभीरी, नदी, खारी, माही और पीपलाद नदी शामिल है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा को एक सवाल के जवाब में जानकारी भी दी थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के बाद पिपलाद नदी की जो तस्वीरें सामने आईं, उसने सुनेल की फिक्र बढ़ा दी है क्योंकि भवानीमंडी शहर भर की गंदगी को लेकर बहने वाला गंदा नाला मांडवी मार्ग रपट से होता हुए एक किमी दूर पिपलाद बांध के भराव क्षेत्र में मिल जाता है। साथ ही आरटीएम मील का केमिकल युक्त भी प्रदुषित पानी इस बांध में मिलता है। इसके साथ ही नून हॉस्पिटल से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी नाले में बहकर पिपलाद बांध के भराव क्षेत्र में मिल जाता है।
पिपलाद नदी में जो गंदगी दिखाई दी वो इस जल को पीने वाले के हलक से जान निकालने के लिए काफी है। यह आपके, आपके परिवार के लिए और आपकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद खतरनाक है। ये तस्वीर सामने आने के बाद एक बार फिर सबके मन में सवाल उठा है कि आखिर सरकार क्या कर रही है? ये तस्वीरें पिपलाद की दुर्गति की हैं. इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है?
इसकी पड़ताल करने के लिए सच बेधड़क की टीम ने भवानीमंडी में पिपलाद के एंट्री से एग्जिट प्वाइंट तक जाकर रिपोर्ट तैयार की। जिसे देखकर आप समझ जाएंगे कि कैसे करोड़ों लोगों के लिए जीवनदायिनी पिपलाद नदी, खुद सांसों के लिए तरस रही है। हमने पिपलाद नदी में मिलने वाले नालों के 5 अलग-अलग ठिकानों पर पिपलाद में प्रदूषण की पड़ताल की और उन तस्वीरों में नदी के बद से बदतर होने की पूरी कहानी नजर आई।
ये है पिपलाद की जहर बनने की कहानी
सबसे पहले आपको बताते हैं, उस जगह के हाल, जहां से भवानीमंडी शहर भर की गंदगी को लेकर बहने वाला गंदा नाला मांडवी मार्ग रपट से होता हुए एक किमी दूर पिपलाद बांध के भराव क्षेत्र में मिल जाता है। उसके बाद आरटीएम मिल का केमिकल युक्त नाला मिलने के बाद बाद मैली और जहरीली होने लगती है। फर्क साफ-साफ देखा जा सकता है इसके साथ ही नून हॉस्पिटल से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी नाले में बहकर पिपलाद बांध के भराव क्षेत्र में मिल जाता है। जिसका नतीजा है कि दशकों से लोगों को प्रदूषित जल पी रहे हैं।
सीएम गहलोत तक को दिय़ा गया ज्ञापन, फिर भी कोई सुनवाई नहीं
भाजपा की राजे सरकार के समय झालावाड़ दौरे पर रही जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी के सामने यह मामला उठाया गया था। जिसकी जांच ठन्डे बस्ते में चली गई। उसके बाद नागरिक विकास मंच सुनेल ने भी पिपलाद बांध का केमिकल युक्त प्रदूषित पानी से छुटकारा दिलाने के लिए सुनेल क्षेत्र के पास से निकल रही राजगढ़ पेयजल योजना की पाइप लाइन या अन्य प्रेय जल स्रोत के माध्यम से जोड़ने की मांग उठाई इसे लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी मंत्री प्रमोद जैन भाया, जिला कलक्टर अधिक्षण अभियंता को ज्ञापन तक दे दिया गया लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
जिम्मेदारों के गैरजिम्मेदाराना रवैए का असर ये हो रहा है इस पानी को पीने वाले, इससे फसलों को सींचने वाले लाखों लोग धीरे-धीरे मौत की तरफ बढ़ रहे हैं, उन्हें कई तरह की बीमारियां हो रही हैं, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग और क्या जवान..हर घर में गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग यहां रह रहे हैं और ये जानते हुए कि जिस पानी का सेवन वे कर रहे हैं वो उनकी धीरे-धीरे जान ले रहा है इसके बावजूद वे इस जहर को पीने को मजबूर हो रहे हैं। लेकिन जिन्हें जवाबदेह होना चाहिए वो आंखें मूंद कर बैठे हुए हैं।
( रिपोर्ट- ओम प्रकाश शर्मा)