Paper Leak Case : जयपुर। शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में एसओजी कड़ी से कड़ी जोड़कर एक-एक गुनहगार को पकड़ रही है। अब एसओजी ने आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही यह तो साफ हो गया है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर आरपीएससी से ही लीक हुआ था। लेकिन, अभी तक यह पता नही चल पाया है कि कटारा ने सीधे मास्टरमाइंड शेरसिंह मीणा को पेपर दिया था या फिर अपने भांजे अंकित के जरिये पेपर पहुंचाया था।
इस मामले में पकड़े गए आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा, ड्राइवर गोपाल सिंह और कटारा के भांजे अंकित को देर रात एसओजी की टीम जयपुर लेकर पहुंची। तीनों आरोपियों से एसओजी कार्यालय में पूछताछ जारी है। इधर, एसओजी आज दोपहर 12.30 बजे एसओजी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर पूरे मामले का खुलासा करेगी कि आखिर बड़ी चूक कहां हुई?
कटारा की गिरफ्तारी से आरपीएससी में हड़कंप
बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद से ही आरपीएससी में हड़कंप मचा हुआ है। राज्य लोक सेवा आयोग अब द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा-2022 के पेपर लीक मामले की आंतरिक जांच करवाएगा। आयोग यह भी जांच करवाएगा कि कटारा के पास क्या जिम्मेदारी थी? बाबूलाल कटारा का किन-किन परीक्षाओं में सीधा दखल था। क्या कटारा ने किसी और को भी जिम्मेदारी सौंपी थी या फिर किसी और को कामकाज में शामिल किया था। बता दे कि तीन साल पहले कटारा को कांग्रेस सरकार ने ही नियुक्ति दी थी।
अकूत संपत्ति का मालिक है बाबूलाल कटारा
एसओजी के हत्थे चढ़ा आरपीएससी का सदस्य बाबूलाल कटारा उदयपुर-डूंगरपुर में अकूत संपत्ति का मालिक है। उदयपुर सेक्टर-14 सीए सर्कल के पास कटारा का मकान है। इसके अलावा डूंगरपुर में सुभाष नगर में दो मंजिला मकान है। डूंगरपुर अस्पताल रोड पर तीन मंजिला व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स भी है। डूंगरपुर जिले के बाबूलाल कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में आरपीएससी के सदस्य का कार्यभार संभाला था। बाबूलाल कटारा ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सांख्यिकी अधिकारी, आयोजना विभाग के पद चयनित हुए थे।
इसके बाद उसने जिला सांख्यिकी अधिकारी डूंगरपुर और बाड़मेर में काम किया था। साल 1994 से 2005 तक उन्होंने भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सागवाडा, सुमेरपुर और उदयपुर में काम किया। साल 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक रहा। इसके बाद निदेशक सांख्यिकी के पद पर पदोन्नति के बाद उदयपुर आदिम जाति शोध संस्थान निदेशक के पद पर भी रहा। इसके बाद कटारा का चयन आरपीएससी के सदस्य के रूप में हुआ था।
ऐसे हुआ पेपर लीक
पेपर माफिया उपप्राचार्य रहे शेरसिंह मीणा ने आरपीएससी सदस्य बनने से पहले ही बाबूलाल कटारा से दोस्ती कर ली थी। क्योंकि मीणा को पता था कि कटारा आरपीएससी सदस्य बन सकता है। कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में आरपीएससी के सदस्य का कार्यभार संभाला था तो मीणा ने नजदीकियां बढ़ा ली। इसके बाद शेरसिंह मीणा ने परीक्षा से पहले कटारा से पेपर लिया था। शेरसिंह ने इसे एक करोड़ रुपए में भूपेंद्र सारण को बेचा था। शेरसिंह और भूपेंद्र सारण की पहले गिरफ्तारी ही हो चुकी है। जबकि एक और मास्टरमाइंड सुरेश ढाका अभी तक फरार है। इस मामले में अब तक 46 अभ्यर्थियों समेत कई सहयोगी पकड़े जा चुके है।
कटारा सहित तीन आरोपी गिरफ्तार
पुलिस के विशेष दल (एसओजी) ने मंगलवार को द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा-2022 के पेपर लीक मामले में राज्य लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के एक सदस्य बाबूलाल कटारा और दो अन्य लोगों को हिरासत में लिया था। आयोग ने द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा का आयोजन दिसंबर में किया था, जिसका प्रश्नपत्र लीक हो गया था। आरोपियों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ शुरू कर दी गई है।
इस मामले में एसओजी की टीम ने कटारा को अजमेर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया। वहीं, ड्राइवर गोपाल सिंह को भी अजमेर में उसके आवास से दस्तयाब किया। एसओजी ने बाबूलाल कटारा के भांजे अंकित कटारा को डूंगरपुर जिले के बगदारी रामपुर से गिरफ्तार किया। एसओजी की टीम तीनों आरोपियों से गहनता से पूछताछ में जुटी हुई है। एसओजी की टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपियों ने कैसे परीक्षा का पेपर मास्टर माइंड शेरसिंह मीणा तक पहुंचाया।
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