अजमेर। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि जिस शिक्षा मंत्री से अपने गृह नगर में स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय नहीं संभाला जा सकता है, उनसे शिक्षा विभाग संभालने की क्या उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार रीट पेपर लीक मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बर्खास्त अध्यक्ष डी.पी. जारोली से आज तक गहनता से पूछताछ नहीं की गई है। यदि पूछताछ की जाती है, तो कांग्रेस के उच्च स्तर के कई लोगों के चेहरों से नकाब हट सकता है।
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में आरोपी शेरसिंह उर्फ अनिल मीणा को पदोन्नति दिए जाने से यह बात साफ हो गई है कि इस प्रकरण में उच्च स्तर तक सरकारी अमले और कांग्रेस सत्ता व संगठन के लोगों की संलिप्तता है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि जब तक पेपर लीक मामले की सीबीआई से जांच नहीं कराई जाती है, तब तक प्रकरण से पूरी तरह पर्दा उठना संभव नहीं है।
पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी कहा कि आश्चर्य तो इस बात का है कि जो सरकारी शिक्षक पेपर लीक का आरोपी है, जेल में बंद है और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय उसे सस्पेंड कर चुका है, उसे उसी निदेशालय ने कैसे और क्यों वाइस प्रिंसिपल से प्रिंसिपल पद पर पदोन्नत कर दिया। उन्होंने कहा, यह भी तब हुआ, जब माध्यमिक शिक्षा निदेशालय प्रदेश के शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला के गृह नगर बीकानेर में है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंत्री कैसे काम कर रहे हैं।
आखिर कैसे हुई इतनी बड़ी चूक
देवनानी ने कहा, शेरसिंह पेपर लीक होने के बाद ही फरार चल रहा था, जिस पर एसओजी ने एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया था। कुछ माह पहले एसओजी ने उसे ओडिसा से पकड़ा था। शेरसिंह ने पेपर लीक का कारनामा तब किया, जब वह सिरोही में राजकीय महात्मा गांधी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल था। बाद में शिक्षा विभाग ने उसे सस्पेंड कर दिया था। उन्होंने कहा, यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि शिक्षा विभाग ने छुट्टी के दिन शेरसिंह का पदोन्नति आदेश वापस ले लिया था, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी चूक और गलती कैसे व क्यों हुई।
मुख्यमंत्री कार्यालय तक जुड़े हैं तार
देवनानी ने कहा, वे पहले ही कई बार यह आशंका जता चुके हैं कि पेपर लीक गिरोह के तार मुख्यमंत्री कार्यालय सहित कांग्रेस सत्ता और संगठन में बैठे उच्च स्तर के नुमाइंदों तक जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि भाजपा द्वारा इस मामले को पुरजोर ढंग से उठाने के बाद भी सरकार ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई है।
पहले तो खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह दावा कर रहे थे कि पेपर लीक मामले में कोई भी अधिकारी और कांग्रेस का जनप्रतिनिधि शामिल नहीं है, किंतु इसी मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा सहित अन्य कई लोगों की गिरफ्तारी से गहलोत के इस दावे की पूरी तरह कलई खुल गई है। कांग्रेस सत्ता व संगठन के लोगों की पेपर लीक प्रकरण में संलिप्तता की बात अब केवल भाजपा ही नहीं कह रही है, बल्कि खुद कांग्रेस के विधायक और नेता भी स्वीकार कर रहे हैं।
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