सवाईमाधोपुर। एनटीसीए से अनुमिति मिलने के बाद वन विभाग ने मंगलवार सुबह रणथंभौर के खूंखार टाइगर टी- 104 को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के लिए रवाना कर दिया। जानकारी के मुताबिक, टाइगर टी-104 को शिफ्ट करने के लिए सुबह करीब छह बजे वन विभाग की टीम रणथंभौर के भिड़ नाका स्थित एन्क्लोजर पर पहुंची और एनक्लोजर में टाइगर की ट्रैकिंग शुरू की। वन विभाग की टीम को करीब 6.30 बजे एनक्लोजर में टाइगर नजर आया, जिस पर वन विभाग की टीम ने टाइगर को 6:35 बजे ट्रेंकुलाइज किया और 6:40 पर टाइगर का स्वास्थ्य परीक्षण शुरू हुआ।
ट्रेंकुलाइज करने के बाद रणथंभौर और उदयपुर की वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम ने टाइगर का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इसके बाद उसे उदयपुर की सज्जनगढ़ सेंचुरी के लिए रवाना कर दिया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाघ टी-104 को रणथंभोर एंक्लोजर में करीब साढ़े 3 साल से बंद रखा गया था। टाइगर टी-104 की गिनती खूंखार बाघों में की जाती है। जानकारी के अनुसार टी-104 ने 8 माह के अंदर रणथंभौर क्षेत्र में 3 लोगों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। तभी से बाघ को एंक्लोजर में रखा गया था।
ठंडक के लिए बर्फ की सिल्लियां भी लगाईं
वन विभाग की टीम द्वारा गर्मी के मौसम को देखते हुए टाइगर के पिंजरे में बर्फ की सिल्लियां भी लगाई, जिसके बाद वन विभाग की टीम करीब आठ बजे सड़क मार्ग से टाइगर को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायलॉजिकल पार्क के लिए लेकर रवाना हो गई। इस दौरान रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ सेडूराम यादव, डिएफओ मोहित गुप्ता, रेंजर रामखिलाड़ी मीणा, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के डिएफओ संजीव शर्मा, रणथंभौर के वेटरनरी ऑफिसर डॉ. सीपी मीणा, डॉ. राजीव गर्ग और रेस्क्यू टीम प्रभारी राजवीर सिंह सहित कई वनकर्मी मौजूद रहे।
वन विभाग को कई दिनों से था अनुमति का इंतजार
वन विभाग को टी-104 को शिफ्ट करने के लिए कई दिनों से एनटीसीए की अनुमति का इंतजार था। इसके लिए वन विभाग की ओर से शिफ्टिंग का प्रपोजल तैयार कर एनटीसीए को भेजा गया था। जिसकी अनुमति मंगलवार को मिलने के बाद बाघ टी-104 को सज्जनगढ़ की सेंचुरी में शिफ्ट किया गया। बाघ को शिफ्ट करने की कार्रवाई गुपचुप तरीके से की गई। वनाधिकारियों जंगल के रास् ही टाइग ते र को सवाई माधोपुर से बाहर निकाला गया। इससे पूर्व रणथंभौर के उस्ताद टी-24 को भी सज्जनगढ़ शिफ्ट किया गया था। टाइगर के सज्जनगढ़ में शिफ्ट होने से वन विभाग को डर था कि कहीं सज्जनगढ़ के आसपास के लोग विरोध न कर दें।