जयपुर: देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया की चर्चाओं में पिछले काफी दिनों से संसद भवन की नई इमारत को लेकर माहौल गरम है जहां नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासी गलियारों में भी बयानबाजी का दौर जारी है. पीएम मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करने जा रहे हैं जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही है. वहीं विपक्षी दल पीएम के नए भवन का उद्घाटन करने को राष्ट्रपति का अपमान बताकर उद्घाटन के कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहा है.
बता दें कि नया संसद भवन यानि सेंट्रल विस्टा जिसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट ने 862 करोड़ रुपए की लागत में किया है. इसके साथ ही नया संसद भवन रिकॉर्ड टाइम में बनाकर तैयार किया गया है जिसकी आधारशिला पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को रखी थी. वहीं नए संसद भवन के आकार की बात करें तो इसका आकार तिकोना है जो एक चार मंजिला बिल्डिंग है.
वहीं यहां तीन मुख्य गेट है जिनके नाम ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार रखे गए हैं. वहीं संसद की नई इमारत में अपनी शिल्प कला के लिए फेमस राजस्थान की छाप भी है जहां इसको बनाने में राजस्थान के कई जिलों के खास पहचान रखने वाले पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन की इमारत में सूबे की स्थापत्य कला की झलक के साथ ही राजस्थान के विभिन्न जिलों से मंगवाए गए रंग-बिरंगे पत्थर लगाए गए हैं जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाएंगे.
रंग-बिरंगे पत्थर बढ़ाएंगे खूबसूरती
दरअसल नए संसद भवन का निर्माण शुरू होते ही राजस्थान के विभिन्न जिलों में खास पहचान रखने वाले रंग-बिरंगे पत्थरों को मंगवाया गया. जानकारी के मुताबिक पाली के रहने वाले सीपीडब्लयूडी स्पेशल डायरेक्टर जनरल (सिविल) पुष्पेंद्रसिंह चौहान की देखरेख में सारा काम किया गया जहां भवन में जैसलमेर के लाखा का लाल पत्थर, मकराना और उदयपुर से ग्रीन मार्बल के साथ केसरिया पत्थर भी लगाया गया है.
इसके अलावा भवन के फर्श में नक्काशीदार जालियों और खिड़कियों में भी कई पत्थर लगाए गए हैं. वहीं धौलपुर के लाल और गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल आरसीसी कॉलम के साथ ही दीवारों में किया गया है. मालूम हो कि इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर कई इमारतों में भी राजस्थान के पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है.
लगा है धौलपुर का रेड डायमंड
वहीं धौलपुर का लाल पत्थर रेड डायमंड कहा जाता है वह भी नए संसद भवन में लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुतबिक संसद भवन के निर्माण में पिछले एक साल में करीब 10 करोड़ का पत्थर धौलपुर से भेजा गया है. बता दें कि लाल पत्थर की खासियत है कि वह जल्दी ठंडा और जल्दी गर्म नहीं होता है और गीला होने पर यह चमकता है. इससे पहले यही लाल पत्थर दिल्ली के लाल किले, इंडिया गेट, अक्षरधाम मंदिर में भी लगाया जा चुका है.