नई दिल्ली। इन दिनों राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। नवंबर की शुरुआत में पॉल्यूशन हवा ने लोगों की सांस फुलाना शुरू कर दिया है। दिल्ली में जहरीली धुंध की मोटी परत देखने को मिल रही है। शनिवार 4 नवंबर को भी हवा का स्तर ‘गंभीर’ कैटेगरी में बना हुआ है।
शनिवार सुबह दिल्ली में ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 504 रहा। वहीं, इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में 571, धीरपुर में 542, नोएडा में 576 और गुरुग्राम में 512 एक्यूआई दर्ज किया गया। हालात ऐसे है कि वायु प्रदूषण का असर अब राजस्थान में भी दिख रहा है। राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित कई शहरों की हवा में जहर घुल गया है। वायु प्रदूषण से आंखों में जलन लगना, खांसी, सांस फूलना आदि लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह की वायु गुणवत्ता को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 15-20 दिनों तक यहां इसी तरह की स्थिति बनी रह सकती है, ऐसे में सभी लोगों को अलर्ट रहने और बचाव को लेकर उपाय करते रहने की आवश्यकता है।
इस बीच एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में साल-दर-साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में पैदा होने वाले बच्चे या गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी प्रदूषण की मार पड़ रही है। एम्स में हुई स्टडी के नतीजे हैरान करने वाले हैं। दिल्ली के ज्यादा प्रदूषित इलाकों में रह रही मांओं से जन्म लेने वालों के बच्चों के फेफड़े सिकुड़ने का खतरा रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई 500 के आंकड़े को छू रही है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से करीब 100 गुना अधिक है। दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी आशंका जताई गई है।
प्रदूषण के कारण कम हो रही है आयु…
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस साल अक्टूबर में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 2020 के बाद सबसे खराब स्तर पर था। वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दिल्ली पिछले कई वर्षों से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बनी हुई है, जिसका मतलब है कि लगभग 33 मिलियन लोग (3.3 करोड़) लोगों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर जोखिम बना हुआ है। शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा संकलित इस वर्ष के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, दिल्ली के लोग जिस खराब गुणवत्ता वाली हवा में सांस लेते हैं, उसके कारण उनका जीवन करीब 11.9 वर्ष कम हो सकता है। साल-दर साल ये खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव…
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने के कारण इसके कई तरह के हानिकारक स्वास्थ्य जोखिम वाले लोगों के मामले भी बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि यहां सांस संबंधी समस्या वाले रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। अधिकतर लोगों को खांसी, सर्दी,और आंखों में जलन-पानी आने और सांस लेने में समस्या हो रही है। इससे हर उम्र के लोग प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वायु प्रदूषण के कारण कई गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता देखा गया है। प्रदूषण, फेफड़ों के साथ शरीर के कई अन्य अंगों को भी गंभीर तौर पर प्रभावित करता देखा जा रहा है।
राजस्थान के कई जिलों में एक्यूआई का हाल…
राजस्थान में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ एडवाइजरी जारी की है। बीकानेर, टोंक, अजमेर, जोधपुर साथ साथ कोटा, अजमेर,उदयपुर और अलवर में भी प्रदूषण में इजाफा हुआ है।
जयपुर में एक्यूआई 196 पहुंचा।
जोधपुर में एक्यूआई 272 पहुंचा।
अजमेर में एक्यूआई 102 पहुंचा।
उदयपुर में एक्यूआई 125 पहुंचा।
कोटा में एक्यूआई 277 पहुंचा।
अलवर में एक्यूआई 135 पहुंचा।
सवाई माधोपुर में एक्यूआई 209 पहुंचा।
टोंक में एक्यूआई 217 पहुंचा।