जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ एकल पट्टा केस खत्म करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के मामले में धारीवाल सहित राज्य के गृह सचिव व एसीबी के तत्कालीन डीएसपी संजीव कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सोमवार को यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिए। एसएलपी में राजस्थान हाई कोर्ट के 15 नवंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज एफआईआर और निचली अदालत की कार्रवाई को शांति धारीवाल की हद तक रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संभावित भ्रष्टाचार वाला गंभीर मामला बताते हुए नोटिस जारी किए।
पाठक के वकील संदीप खण्डेलवाल और सुल्तान सिंह ने बताया कि एसएलपी में मांग की गई थी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की एफआईआर को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता। यह केस राज्य सरकार का केस है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है। वहीं, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की भी अनदेखी की है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट को राज्य सरकार की क्लोजर रिपोर्ट व प्रोटेस्ट पिटिशन तय करने का निर्देश दिया था, जिस पर निचली कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट रद्द कर आगामी अनुसंधान का निर्देश दिया था, लेकिन इसी दौरान धारीवाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चल रहे अनुसंधान व निचली कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया।
हाई कोर्ट में बोले- सेटलमेंट हो गया
हाई कोर्ट में धारीवाल का कहना था कि मामले में शिकायतकर्ता व उनके बीच सेटलमेंट हो गया है। इसलिए निचली कोर्ट व एसीबी की कार्रवाई को रद्द किया जाए। इस आधार पर हाई कोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होते हुए भी याचिका मंजूर कर एसीबी व कोर्ट की कार्रवाई रद्द कर दी।
यह है मामला
एसीबी ने वर्ष 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कं पनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। एसीबी ने मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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