वीरांगनाओं के साथ सीएम गहलोत की मुलाकात पर सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब दस दिनों तक वीरांगनाएं आपसे मिलने के लिए भूख-प्यास में गुहार लगा रही थीं, वो आपको नहीं दिखाई दी क्या? वीरांगनाओं पर राजनीति करना बंद कीजिए।
वीरांगनाओं के साथ राजनीति करते लज्जा नहीं आती
किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि यह कैसी उलटबांसी है कि वीरांगनाओं का अपमान करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आज वीरांगनाओं से मुलाक़ात कर रहे हैं।पर आपके द्वार पर दस दिनों तक आपसे मिलने की गुहार लगाने वाली भूखी-प्यासी वीरांगनाएं क्या आपको दिखाई नहीं दीं? वीरांगनाओं के साथ राजनीति करते हुए जरा भी लज्जा नहीं आती आपको।
किरोड़ी ने आगे कहा कि क्या मंजु जाट, सुंदरी गुर्जर, मधुबाला मीना वीरांगना नहीं हैं? मंजु जाट को आपने अपहृत कर छुपा रखा है पर वह वीरभार्या अभी भी गरज रही है कि आप उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हो? अशोक गहलोत जी वीरांगनाओं के साथ फोटो तो खिंचवा लो पर मंजू जाट के सवालों का उत्तर भी तो दो।
सुनिश्चित है कांग्रेस का अंत
वहीं वीरांगनाओं और खुद किरोड़ी के साथ पुलिस की कथित मारपीट मामले के विरोध में आज भाजपा के विरोध प्रदर्शन को लेकर किरोड़ी ने कहा कि वीरांगनाओं का ये अपमान, नहीं सहेगा राजस्थान। अराजक, अत्याचारी, तानाशाही कांग्रेस की गहलोत सरकार के राज में वीरांगनाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं करेगा। आज प्रदेश की निरंकुश गहलोत सरकार के खिलाफ आयोजित विरोध-प्रदर्शन में आक्रोशित युवाओं को देखकर यह प्रतीत होता है कि आने वाले समय में कांग्रेस का अन्त सुनिश्चित है।
विजय बैंसला ने अस्पताल में किरोड़ी का लिया हालचाल
दूसरी तरफ किरोड़ी से अस्पताल में मिलने के लिए नेताओं का तांता लगा हुआ है। आज गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला भी किरोड़ी की हालचाल लेने के लिए SMS अस्पताल पहुंचे। उन्होंने यहां किरोड़ी का हाल-चाल जाना और इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की।
26 वीरांगनाओं ने CM गहलोत से की थी मुलाकात
बता दें कि आज 26 वीरांगनाओं के समूह ने मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। इस दौरान शहीदों की वीरांगनाओं ने सीएम अशोक गहलोत के सामने अपनी बात रखी। वीरांगनाओं ने सीएम गहलोत से कहा कि सिर्फ हमें और हमारे बच्चों को ही नौकरी मिलनी चाहिए। किसी तीसरे को नौकरी नहीं मिलनी चाहिए। शहीद के बच्चे बड़े होकर नौकरी के लिए तरसे, यह मंजूर नहीं है। शहीद के बच्चे का हक किसी और को नहीं मिलना चाहिए।