जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के कॉलेज छात्राओं और शोधार्थियों को बड़ी सौगात देते हुए 2 अहम वित्तीय प्रस्तावों का अनुमोदन किया है जहां सीएम ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्राओं को राहत देने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर स्कीम के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है. दरअसल सरकार ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में स्कूल शिक्षा की तर्ज पर कॉलेज में लाभ देने का बड़ा निर्णय लिया है.
सरकार के इस फैसले के बाद अब कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को घर से कॉलेज आने-जाने का बस किराया मिलेगा और राज्य सरकार द्वारा कॉलेज में 10 किलोमीटर से अधिक दूरी से आवागमन पर हर दिन 20 रुपए का भुगतान किया जाएगा. बता दें कि यह राशि छात्राओं द्वारा आवेदन पत्र में दिए गए बैंक खातों में भेजी जाएगी.
75 फीसदी रखनी होगी अटेंडेंस
सरकार के मुताबिक इस योजना के तहत हर महीने में कम से कम 75 फीसदी उपस्थिति वाली छात्राएं ही स्कीम में पात्र होंगी जिसके लिए कॉलेज में लगी बायोमैट्रिक मशीन पर उपस्थिति मान्य होगी. इस मशीन के लिए 2.028 करोड़ रुपए की लागत आएगी. मालूम हो कि वर्तमान में कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाली छात्राओं के लिए घर से 5 किमी. से अधिक दूरी से स्कूल में आवागमन पर यह लाभ दिया जाता है. वहीं मुख्यमंत्री ने 2023-24 के बजट में उच्च शिक्षण संस्थानों में ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना लागू करने के लिए घोषणा की थी.
शोधार्थियों को मिलेगा आर्थिक संबल
वहीं एक अन्य फैसले के मुताबिक अब प्रदेश के लगभग 6 हजार शोधार्थियों को आर्थिक संबल एवं प्रोत्साहन के लिए फैलोशिप दी जाएगी जिसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए 62.30 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया है. इस फैसले के मुताबिक राजकीय महाविद्यालयों एवं राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के लगभग 2200 शोधार्थियों को 20 हजार रुपए हर महीने फैलोशिप दी जाएगी जिसके लिए 52.80 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है.
इसके साथ ही, राजकीय महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 3800 शोधार्थियों को देश के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों एवं शोध संस्थानों में इंटर्नशिप, सेमिनार, वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस में सहभागिता के लिए 25 हजार रुपए तक की वित्तीय सहायता मिलेगी जिसके लिए मुख्यमंत्री ने 9.50 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है.
बता दें कि यह फैलोशिप अधिकतम 2 साल के लिए दी जाएगी और कॉलेज शिक्षा विभाग इसका नोडल विभाग होगा. वहीं इनमें चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालयों के शोधार्थी तथा अन्य किसी भी तरह की फैलोशिप प्राप्त करने वाले शोधार्थी पात्र नहीं होंगे.