जयपुर: राजस्थान में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में गहलोत सरकार एक ओर नई-नई सौगातें देकर प्रदेशवासियों को साधने में लगी हुई है. वहीं, दूसरी ओर समाज विशेष के लिए अलग-अलग बोर्ड व आयोग गठित कर वोट बैंक को मजबूत करने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में गहलोत सरकार ने कुमावत जाति वर्ग की समस्याओं के समाधान तथा परम्परागत स्थापत्य कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में राज्य स्थापत्य कला बोर्ड का गठन किया करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. हाल में सीएम ने राजस्थान राज्य अहिल्या बाई होल्कर बोर्ड का भी गठन किया था.
कुमावत जाति के लिए बोर्ड का गठन
इस बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा 3 अन्य गैर सरकारी सदस्य होंगे. वहीं स्कूल शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के शासन सचिव तथा उद्योग विभाग, श्रम विभाग, कला एवं संस्कृति विभाग व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के आयुक्त इसमें सरकारी सदस्य होंगे.
इसके साथ ही, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक स्तर के अधिकारी बोर्ड में सचिव का काम करेंगे. वहीं राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बोर्ड में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.
वहीं बोर्ड के गठन का उद्देश्य कुमावत जाति वर्ग के लोगों के कल्याण हेतु विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करना, कुमावत जाति वर्ग की सामाजिक बुराईयों/कुरीतियों के विरूद्ध ठोस उपाय करने हेतु राज्य सरकार को अभिशंषा के साथ सुझाव देना, समाज के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं की विभिन्न विभागों से समन्वय कर सुझाव देना शामिल है.
इसके अलावा परम्परागत व्यवसाय के वर्तमान तौर-तरीकों में बदलाव हेतु सुझाव देना है। साथ ही, शैक्षणिक तथा आर्थिक उन्नयन हेतु राज्य सरकार को सुझाव देना, परम्परागत स्थापत्य कला को बढ़ावे देने के संबंध में सुझाव देना तथा आर्थिक उन्नयन एवं रोजगार को बढ़ावा देने संबंधी सुझाव का कार्य भी बोर्ड द्वारा किया जाएगा.
अहिल्या बाई होल्कर बोर्ड का गठन
वहीं बुधवार को राज्य सरकार द्वारा राजस्थान राज्य अहिल्या बाई होल्कर बोर्ड का गठन किया गया जहां यह बोर्ड गडरिया (गाडरी), गायरी, घोसी (गवाला), पूर्बिया (धनगर, गाडरी) जाति वर्ग की स्थिति का जायजा लेकर, प्रमाणिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन वर्गों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने तथा पिछड़ेपन को दूर करने के सुझाव राज्य सरकार को देगा.
वहीं बोर्ड द्वारा समाज के शैक्षिक एवं आर्थिक उन्नयन, रोजगार को बढ़ावा देने, सामाजिक बुराइयों/कुरीतियों के विरूद्ध ठोस उपाय करने और परम्परागत व्यवसाय को वर्तमान तौर-तरीकों से आगे बढ़ाने सहित अन्य सुझाव राज्य सरकार को प्रस्तुत किए जाएंगे.