Jaipur Bomb Blast : जयपुर। जयपुर ब्लास्ट के दोषियों की रिहाई के बाद विपक्ष लगातार गहलोत सरकार पर हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर प्रदेश की गहलोत सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व सीएम राजे ने कहा कि गहलोत सरकार ने पूरे देश में दहशत फैलाने वाले इस खौफनाक प्रकरण की जानबूझ कर ढंग से पैरवी ही नहीं करवाई। इस कारण सभी आतंकी बरी हो गए और कांग्रेस के राज में न्याय की उम्मीदें दम तोड़ने लगी। राजे ने रविवार को पीड़ितों से मुलाकात की और चांदपोल हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ कर 80 दीपक भी जलाए।
पूर्व सीएम राजे ने ट्वीट किया जयपुर धमाकों के आतंकियों के बरी हो जाने से पीड़ित परिवारों की व्यथा दोगुनी हो गई है। उनके दर्द को समझते हुए ही मैंने आज हनुमान मंदिर में आस्था के 80 न्याय दीप जलाए हैं। श्री चांदपोल हनुमान मंदिर पहुंचकर आस्था के 80 न्याय दीप जलाए तथा हनुमान चालीसा का पाठ किया। मेरी हनुमान जी से प्रार्थना है कि 13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट में 80 बेकसूर लोगों की निर्मम हत्या करने वाले आतंकियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिले।
पीड़ित लोगों से मिली पूर्व सीएम राजे
पूर्व सीएम राजे ने कहा कि ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों से भी मिली और उन्हें विश्वास दिलाया कि उनको न्याय जरूर मिलेगा। उनके पारिवारिक सदस्यों ने कहा कि आपकी भाजपा सरकार ने जब उन आतंकियों को जेल में डाला और निचली अदालत से उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई, तो हमें न्याय मिलने की उम्मीद जगी। लेकिन अशोक गहलोत की सरकार ने पूरे देश में दहशत फैलाने वाले इस खौफनाक प्रकरण की जान बूझ कर ढंग से पैरवी ही नहीं करवाई। इस कारण सभी आतंकी बरी हो गए और कांग्रेस के राज में न्याय की उम्मीदें दम तोड़ने लगी।
पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है याचिका
जयपुर बम ब्लास्ट 2008 मामले में हाईकोर्ट से आरोपियों को बरी किए जाने के बाद 13 अप्रैल को पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, राज्य सरकार की तरफ से अभी तक सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर नहीं की गई। पीड़ित परिवारों के सदस्य राजेश्वरी देवी पत्नी मृतक ताराचंद व अभिनव तिवाड़ी पुत्र मृतक मुकेश तिवाड़ी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के साथ नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी मौजूद रहे।
हाईकोर्ट ने पलटा था जिला कोर्ट का फैसला
गौरतलब है कि 29 मार्च को हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को बदलते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट की दलील थी कि जांच अधिकारी को कानून की जानकारी ही नहीं है। जांच अधिकारी ने सही जांच नहीं की, ऐसे में हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिए कि जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें। साल 2019 में जिला न्यायालय ने बम ब्लास्ट के आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। आतंकियों के वकीलों ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए चुनौती दी। अलग-अलग 28 याचिकाएं पेश हुई। इन याचिकाओं की सुनवाई करीब तीन साल तक चलती रही। आखिरकार, हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट का फैसला पलटते हुए दोषियों को बरी करने का आदेश दिया। जिस पर विपक्ष लगातार गहलोत सरकार पर हमलावर है।