नई दिल्ली। अगर आपके मकान या कोई जमीन है और वो किराए पर दे रखा है तो लापरवाही ना बरते वरना बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं। इस मामले में कोर्ट भी आपकी मदद नहीं कर पाएगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट खुद कई बार कह चुका है कि अगर 12 साल तक किसी निजी संपत्ति पर कोई निर्बाध रूप से रह रहा है तो वह उसकी हो जाएगी। दरअसल, प्रतिकूल कब्जे का कानून अंग्रेजों की टाइम से चला आ रहा है। कई बार इसके चलते मालिकों को अपनी संपत्ति से हाथ धोना पड़ जाता है। इसका इस्तेमाल लंबे से किराए पर रह रहे लोग कर चुके हैं। इसलिए हर मकान मालिक को सचेत रहना चाहिए।
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कब किया जा सकता है मालिकाना हक का दावा
अगर संपत्ति पर बिना कोई विवाद के कब्जा किया है और मकान मालिक को इसकी खबर है तो प्रतिकूल कब्जे के तहत प्रॉपर्टी पर मालाकिना हक का दावा किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फैक्टर यह है कि मकान मालिक ने 12 साल तक कभी कब्जे लेकर कोई दावा नहीं किया। बस यह साबित करना होता है कि प्रॉपर्टी पर कब्जा लगातार था और किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। कब्जा करने वाले प्रॉपर्टी डीड, टैक्स रसीद, बिजली या पानी का बिल, गवाहों के एफिडेविट आदि की जरूरत होती है।
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बचाव करने का क्या है तरीका
इससे बचने का सीधा सा तरीका का है किसी को भी मकान किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाएं। ये 11 महीने का होता है और इसलिए हर 11 महीने में उसे रिन्यू करवाते रहना चाहिए। दूसरा आप समय-समय पर किराएदार को बदल सकते हैं। आपको अपनी प्रॉपर्टी में पर हमेशा नजर रखनी होगी।