कोटा। प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health) का विरोध जारी है आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ निजी चिकित्सकों ने निजी डॉक्टर के साथ कोटा में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसमें उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है अगर वे उनकी मांगों पर सहमत नहीं हुए तो वे अस्पतालों को बेचकर आत्मदाह कर लेंगे।
अस्पताल बेचकर आत्मदाह कर लेंगे
केके पारीक ने कहा कि अगर हमारे विरोध के बावजूद राइट टू हेल्थ बिल प्रदेश में लागू हो जाता है तो हमारे पास अस्पतालों को बेचने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। फिर तो यही होगा कि हम अस्पतालों को बेच देंगे और खुद आत्मदाह कर लेंगे। लेकिन इससे आम जनता को नुकसान होगा। हमारे अस्पतालों में जो कार्मिक काम कर रहे हैं वे बेरोजगार हो जाएंगे। उनका परिवार रास्ते पर आ जाएगा।
जनता की परेशानी से हमें बहुत दुख
हमारी हड़ताल से जनता परेशानी उठा रही है, इसका हमें बहुत दुख है। हमारे लिए मरीज हमारी फैमिली की तरह होता है। हम सालों से यह काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार के इस राइट टू हेल्थ बिल ने हमारे लिए राइट के किल प्राइवेट सेक्टर का काम किया है। इस बिल से प्राइवेट अस्पताल पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। अगर हम कोटा की ही बात करें तो यहां सरकारी स्तर पर ही कई बड़ी बीमारियों का इलाज और सर्जरी नहीं हो पाती है। ऐसे में उन्हें जयपुर जाना पड़ता है और वहां भी नहीं हुआ तो दिल्ली जाना पड़ता है।
हमें तो अभी ही पैसा नहीं मिलता
न्यूरो सर्जन डॉ मामराज अग्रवाल ने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल तो बाद में आएगा। हमें तो अभी ही पूरा पैसा नहीं मिलता। बिल आने पर क्या होगा आप सोच सकते हैं। कोटा में जो इलाज होता है वह दिल्ली और गुजरात से पैसों में आधा होता है। ऐसे में राइट टू हेल्थ बिल तो हमारे लिए हमारे अस्पतालों की जान लेने का काम करेगा। तो फिर हम अस्पताल खोल कर ही क्या करेंगे हमें तो इन्हें ताला लगाना पड़ेगा या बेचना ही पड़ेगा।
मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इधर राइट हेल्थ बिल को लेकर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जी के व्यास ने राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे निजी डॉक्टर के मामले पर केस दर्ज किया है। उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान मेडिकल काउंसिल से रिपोर्ट मांगी है कि कि जो चिकित्सक इस तरह हड़ताल कर रहे हैं उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है? क्योंकि चिकित्सकों के आचरण पर नियमों के तहत राजस्थान मेडिकल एक्ट 1952 और राजस्थान मेडिकल रूल्स 1957 में नियम दर्ज हैं।
आयोग से अध्यक्ष ने डॉक्टर्स से हड़ताल खत्म करने की अपील की
इस संबंध में आयोग ने मेडिकल काउंसिल से पूरी रिपोर्ट मांगी है। 10 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होगी उससे पहले यह रिपोर्ट देनी है। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से जस्टिस जेके व्यास ने अपील की है कि वे जनसेवा को ध्यान में रखकर मानव जीवन की रक्षा करें और अपने काम पर लौट आए। राज्य सरकार जो बिल लेकर आई है वह जनहित में है। यह उसका कर्तव्य है। अगर आप इससे असहमत हैं आप इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं लेकिन इस तरह आप हड़ताल नहीं कर सकते।