Rajasthan Assembly : जयपुर। राजस्थान में 16वीं विधानसभा का पहला बजट सत्र आज हंगामे के साथ शुरू हुआ। राज्यपाल कलराज मिश्र का अभिभाषण शुरू होते ही आरएलपी नेता और खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने हंगाम शुरू कर दिया। सुबह 11 बजे राज्यपाल का अभिभाषण शुरु होते ही हनुमान बेनीवाल वेल में आ गए और राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को भंग करने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर हनुमान बेनीवाल RPSC को क्यों भंग कराना चाहते हैं?
दरअसल, राजस्थान में प्रशासनिक सेवाओं सहित सरकार के कई विभागों की बड़ी भर्तियां राजस्थान लोकसेवा आयोग (RPSC) की ओर से करवाई जाती है। लेकिन, राजस्थान लोक सेवा आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के कोई प्रावधान नहीं हैं। प्रदेश सरकार ही अपने चहेतों और रिश्तेदारों की नियुक्ति कर दी है। गहलोत राज में भी अध्यक्ष सहित सदस्यों की नियुक्ति की गई थी। जिसका नतीजा ये निकला था कि एक दर्जन से ज्यादा पेपर लीक हुए थे।
5 साल में ये पेपर हुए लीक
गहलोत राज में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2018, जेईएन सिविल डिग्री भर्ती परीक्षा-2018, रीट लेवल 2 परीक्षा-2021, बिजली विभाग में टेक्निकल हेल्पर भर्ती परीक्षा-2020, राजस्थान पुलिस भर्ती-2022, वन रक्षक भर्ती परीक्षा-2020, हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा-2022, मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा-2022, वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा-2022, लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा- 2018, सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा-2022 और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) संविदा भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हुए थे।
ऐसे में सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा-2022 को छोड़कर सभी परीक्षाओं को रद्द करके दोबारा परीक्षा करवाई गई थी। इन परीक्षाओं में आरपीएससी की धांधली सामने आने के बाद बीजेपी सहित कांग्रेस नेता सचिन पायलट और राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ ने भी आरपीएससी को भंग करने की मांग की थी। वहीं, अब राजस्थान में बीजेपी की सरकार है तो हनुमान बेनीवाल ने आरपीएससी को भंग करने की मांग कर रहे हैं।
आरपीएससी सदस्य ने ही करवाया था पेपर लीक
राजस्थान में पिछले कई सालों से लगातार पेपर लीक होने के कारण बवाल मचा हुआ है और आरोप भी आरपीएससी पर भी लगे हैं। पिछले साल आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को एसओजी ने गिरफ्तार किया था। जिसने पेपर लीक मास्टरमाइंड शेरसिंह मीणा को एक करोड़ रुपए में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का पेपर बेचा था। उस वक्त भी संजय कुमार श्रोत्रिय ही आरपीएससी के चेयरमैन थे और अब बीजेपी राज में भी वही चेयरमैन है।
इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले गहलोत राज में कर्नल केसरी सिंह राठौड़, प्रोफेसर अयूब खान और कैलाश चंद मीणा को आरपीएससी का सदस्य बनाया गया था। आरपीएससी की कार्यशैली सवालों के घेरे में रहने के कारण बेनीवाल इसे भंग करने की मांग कर रहे है।
अभी इन अधिकारियों के हाथों में हैं आरपीएससी की कमान
तीन साल पहले गहलोत राज में संजय कुमार श्रोत्रिय को आरपीएसी का चेयरमैन बनाया गया था। जिनका कार्यकाल अभी तीन साल का और बचा है। वहीं, वर्तमान में संगीता आर्य, जसवंत सिंह राठी, बाबूलाल कटारा, मंजू शर्मा, कर्नल केसरी सिंह राठौड़, प्रोफेसर अयूब खान और कैलाश चंद मीणा आरपीएससी के सदस्य है। इनमें से आर्य, राठी, कटारा और शर्मा का कार्यकाल अभी तीन साल का शेष है। जबकि राठौड़, खान और मीणा को पिछली साल ही आरपीएससी सदस्य बनाया गया था।