जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के बाहर सड़क पर बेतरतीब खड़े रहने वाले वाहनों से निजात के लिए 50 करोड़ की लागत से भूमिगत पार्किंग बनाई जाएगी। जेडीए हाईकोर्ट के सामने गोल्फ क्लब की भूमि पर दो मंजिला भूमिगत पार्किंग बनाएगा। यहां पर 500 वाहन एक साथ खड़े हो सकेंगे। खास बात ये है कि हाईकोर्ट के सामने प्रस्तावित पार्किंग हाईटेक होगी। वाहन चालकों को यहां आते ही चल जाएगा पता कि किस मंजिल पर कहां पार्किंग स्पेस उपलब्ध है। इतना ही नहीं यह भी पता चल जाएगा कि कितने वाहन हो चुके पार्क और कितनी स्पेस बची है। यह जानकारी वाहन चालकों यहां लगे डिस्पले से मिलेगी। इसके अलावा मोबाइल एप से भी जानकारी मिल सकेगी।
जेडीए की ओर से 50 करोड़ की लागत से भूमिगत पार्किंग बनाई जाएगी। जिनमें से 5 करोड़ रुपए स्मार्ट पार्किंग सोल्यूशन्स पर खर्च होंगे। इसके तहत पूरा पार्किंग मैनेजमेंट आईटी बेस्ड होगा। इलेक्ट्रिक वाहन चालकों को इससे पता चलेगा कि कौनसा चार्जिंग स्टेशन उनके लिए अभी उपलब्ध है। 2 करोड़ रुपए की लागत से 100 चार्जिंग स्टेशन भी बनेंगे। सड़क पर वाहनों की पार्किंग को लेकर हाईकोर्ट ने कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को तलब किया था। इसके तीन महीने बाद अब जेडीए ने पार्किंग के लिए कवायद शुरू की है।
अभी करना पड़ेगा सालभर इंतजार
गौरतलब है कि यहां पार्किंग की समस्या के चलते आए दिन लगने वाले जाम से निपटने के लिए सोमवार को जयपुर विकास आयुक्त रवि जैन की अध्यक्षता में पीडब्ल्यूसी की बैठक हुई थी। दरअसल, कोर्ट परिसर के बाहर वाहन पार्किंग के चलते लगने वाले लम्बे जाम को देखते हुए कोर्ट में नवम्बर 2022 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा था। जेडीए ने यहां जमीन देखना शुरू कर दिया है। अभी आमजन को यहां पार्किंग की सुविधा के लिए साल भर का इंतजार करना पड़ेगा।
50 करोड़ रुपए की लागत आएगी
हाईकोर्ट के सामने लम्बे वक्त से जाम की स्थिति से आमजन को निजात दिलाने के लिए जेडीए की ओर से 50 करोड़ की लागत से भूमिगत पार्किंग बनाई जाएगी। इस पार्किंग के बनने के बाद यहां करीब 500 वाहन पार्क हो सकेंगे। गौरतलब है कि कोर्ट आने वाले वकीलों के अलावा हाईकोर्ट का यह रास्ता जयपुराइट्स को विधानसभा से एमआई रोड होते हुए शहर से जोड़ता है। यहां से हजारों लोग दिनभर वाहन लेकर गुजरते हैं।
याचिका में मांगा था जवाब
हाई कोर्ट परिसर में वकीलों सहित अन्य लोगों के लिए पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर कोर्ट में नवम्बर में याचिका लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि हाई कोर्ट के आस-पास का यह वीआईपी एरिया है। यहां हाई कोर्ट के अलावा विधानसभा और सचिवालय सहित अन्य सरकारी विभाग मौजूद हैं। इस रोड से मुख्यमंत्री सहित अन्य वीआईपी लोग भी गुजरते हैं। याचिका में कहा गया था कि हाई कोर्ट परिसर के पास ही इंदिरा गांधी नगर परियोजना के भवन को पार्किंग के काम लिया जा सकता है। याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल से जवाब तलब किया था।