जयपुर। प्रदेश के 50 नगरीय निकायों में अब जल्द ड्रेनेज सिस्टम में सुधार होने वाला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को प्रदेश के 50 नगरीय निकायों में ड्रेनेज और गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए 200 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी है। सीएम गहलोत की इस स्वीकृति से नगरीय निकायों में ड्रेनज सिस्टम मजबूत होगा
साथ ही गंदे पानी का निस्तारण सुव्यवस्थित रूप से हो सकेगा। तेज बारिश के समय सड़कों पर भरने वाले पानी की परेशानी से लोगों को छुटकारा मिलेगा। साथ ही गंदे पानी की निकासी के लिए भी बंदोबस्त किए जाएंगे।
आरयूडीएफ से खर्च होंगे 150 करोड़ रुपए
सीएम स्वीकृति के अनुसार उक्त राशि में से 50 करोड़ रुपए का वित्त पोषण 15वें वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान से और 150 करोड़ रुपए की राशि का वित्त पोषण आरयूडीएफ से किया जाएगा। इस राशि से जलभराव क्षेत्रों में ट्रीटमेंट प्लांट्स के निर्माण सहित अन्य कार्य किए जाएंगे।
कई निकायों में ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होने के कारण बारिश के कारण जलभराव की समस्या हो जाती थी। इस समस्या के लिए मुख्यमंत्री गहलाेत ने बजट वर्ष 2023-24 में वित्तीय स्वीकृति देने की घोषणा की थी, जिनको अब लागू किया जा रहा है।
नवसृजित 16 खण्ड कार्यालयों के लिए लेखाकार के पद स्वीकृत
मुख्यमंत्री गहलोत ने सार्वजनिक निर्माण विभाग में नवसृजित 16 खण्ड कार्यालयों के लिए खण्डीय लेखाकार के पद सृजित करने की स्वीकृति दी है। इसके बाद अब प्रत्येक खण्ड कार्यालय के लिए खण्डीय लेखाकार का एक-एक पद सृजित किया जाएगा। इस स्वीकृति से सार्वजनिक निर्माण विभाग के निवाई (टोंक), कठू मर (अलवर), रामगढ़ (अलवर), सुल्तानपुर (कोटा), सुजानगढ़ (चूरू), जायल (नागौर), नारायणपुर (अलवर), तारानगर (चूरु), बसेड़ी (धौलपुर), फागी (जयपुर), मण्डरायल (करौली), लक्ष्मणगढ (सीकर), लालसोट (दौसा), बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर), वैर (भरतपुर) एवं नाथद्वारा (राजसमन्द) खण्ड के लिए पदों का सृजन किया जाएगा। इन पदों के सृजन से कार्यालयों में लेखा सम्बन्धी कार्यों में सुगमता होगी।
आयुष विभाग के नर्स-कम्पाउंडर कहलाएंगे नर्सिंग ऑफिसर
सीएम की एक ओर स्वीकृति के बाद आयुष विभाग के सीनियर नर्स-कम्पाउण्डर अब नर्सिंग ऑफिसर (आयुष) कहलाएं गे। सीएम गहलोत की इस स्वीकृति से आयुष विभाग में कार्यरत सीनियर नर्स-कम्पाउण्डर का भी अब नया पदनाम होगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नर्सिंग कै डर के पदनाम संशोधित किए गए थे। काफी समय से आयुष विभाग के नर्सिंग कर्मियों की ओर से भी पदनाम संशोधन की मांग की जा रही थी।