राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों से जुड़े चिकित्सक अब बच्चों और अपने परिवार के सदस्यों के साथ सड़क पर उतरे। रविवार को हाथों में तख्तियां लेकर छोटे-छोटे बच्चें भी चिकित्सकों के आंदोलन में नजर आए। चिकित्सकों ने नौनिहालों से लेकर युवाओं तक को इस रैली में शामिल किया। उनके हाथों में मेरी मम्मी डॉक्टर हैं, कसाई नहीं। मेरे पापा डॉक्टर हैं लूटेर नहीं, जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां नजर आई। जेएमए सभागार से शहीद स्मारक तक निकाली गई रैली से परिवार के सदस्यों को साथ ले चिकित्सक एक बार फिर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति में जुट गए हैं।
आमजन की तरह हमारी भी परेशानी
चिकित्सकों की रैली के बाद आंदोलन को खत्म करने का आग्रह लेकर एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी जेएमए सभागार में पहुंचे। चिकित्सक संगठनों के नेताओंको गुलाब का फूल देकर एनएसयूआई ने आंदोलन खत्म कर मरीजों को इलाज करने का आग्रह किया। इस पर चिकित्सक नेता डॉ.विजय कपूर ने फूल लेने से इनकार कर काम पर लौटने से मना कर दिया। कपूर ने कहा कि वह यह फूल सीएम को ले जाकर दें, जिससे वह हमारी बात मानते हुए बिल को वापस लें।
एनएसयूआई की दंडवत अपील
एनएसयूआई को पुलिस ने जेएमए सभागार तक जाने से रोका तो वह सड़क पर ही दंडवत हो गए और डॉक्टर्स से काम पर लौटने की अपील की। एनएसयूआई के प्रवक्ता रमेश भाटी ने हमने डॉक्टर्स से मार्मिक अपील करते हुए उनसे कहा कि वह फिर से अस्पतालों में आकर मरीजों का इलाज करें। किसी भी समस्या का समाधान मध्यस्थता से निकल सकता है। उन्हें काम पर लौट आना चाहिए और मरीज ना देखने की अपनी हठधर्मिता को छोड़ देना चाहिए। हम मानवता के नाते आए गए।
डॉ. नीलम का टूटा अनशन
कोटा की डॉ. नीलम का भी समझाइश के बाद अनशन तुड़वाया गया। एसएमएस के पूर्व अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र सिंह व सीनियर डॉक्टर्स ने ज्यूस पिला कर अनशन खत्म करवा दिया। उधर, रजिडेंट्स का संगठन जार्ड या ज्वाइंट एक्शन कमेटी से जुड़े सदस्य रैली में नजर नहीं आए। अब कल चिकित्सक महा-महा रैली निकालेंगे। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ.राजवेन्द्र सिंह ने बताया कि इसमें आमजन को भी साथ लेंगे।