बाड़मेर: चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की राजस्थान में आहट के साथ ही सूबे के रेगिस्तानी इलाकों में हाहाकार मच गया, नाले जल मग्न हो गए और सड़कें दरिया बन गई. राजस्थान में पिछले 48 घंटों से इस तूफान का कहर देखा जा सकता है जहां लगातार कई इलाकों में बारिश हो रही है. वहीं मूसलाधार बारिश से के साथ चल रही तेज हवाओं से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है.
राज्य के पाकिस्तान सीमा से लगे इलाके बाड़मेर में बाढ़ जैसे हालात हैं और सिरोही और जालोर में भी बारिश ने काफी तबाही मचाई है. बाड़मेर में तूफान के कहर ने एक बार फिर 2006 में दौरान आई बाढ़ की तबाही की दर्दनाक यादें ताजा कर दी है जहां 2006 में कवास और मलवा इलाके में आई बाढ़ से लगभग 135 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए थे.
रेगिस्तान में आ गई थी बाढ़
रेगिस्तान में किसी ने बाढ़ आने की कभी कल्पना नहीं की होगी लेकिन 2006 में हर कोई जब हैरान हो गया जब अकाल और सूखे की मार झेलने वाले रेतीले बाड़मेर में लोगों को पानी के सैलाब का सामना करना पड़ा. अगस्त का महीना था और साल था 2006, जब किसी एक रात अचानक पानी का सैलाब आया और देखते ही देखते कवास और मलवा गांव तर-बतर हो गए. बाढ़ का सबसे ज्यादा असर इन्हीं दो इलाकों में देखा गया जहां ये दोनों गांव पूरी तरह डूब गए.
अगस्त 2006 में बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में चार दिनों से लगातार बारिश हुई जिसके बाद रेगिस्तान लबालब हो गया लेकिन 21 अगस्त की रात अचानक कवास गांव में तेज बहाव के साथ पानी आना शुरू हो गया और गांव में पानी जमा होने लगा. आधी रात को घरों में पानी भरता हुआ देख अफरातफरी मच गई और लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे लेकिन कुछ लोग अपने मवेशियों के साथ वहीं फंस गए.
100 से अधिक लोगों की गई जान
कवास और मलवा मे आई बाढ़ के बाद करीब 135 लोगों की मौत हो गई और उस दौरान सैकड़ों लोग लापता थे. वहीं इन दोनों गावों से सैकड़ों लोग विस्थापित हो गए थे. हालांकि बाढ़ चले जाने के बाद प्रशासन की मदद से कवास गांव को फिर से बसाया गया. मालूम हो कि आज भी बाड़मेर में तेज बारिश होने पर प्रशासन की ओर से कवास गांव में मुनादी करवाई जाती है.
क्यों आई थी बाड़मेर में बाढ़
दरअसल 2006 के अगस्त महीने की शुरूआत में शुरूआत के 4 दिन बाड़मेर में 649 और जैसलमेर में 700 मिलीमीटर पानी बरसा जिसके बाद यहां के सभी इलाके जलमग्न थे और सालों से सूख चुके नदी-नाले इतनी बारिश के बाद एक बार फिर बहने लगे लेकिन 21 अगस्त को जैसलमेर में तेज बारिश के बाद वहां बने एनिकट पर पानी का काफी ज्यादा दबाव हो गया और देखते ही देखते वह टूटने लगे जिससे पानी पूरी स्पीड के साथ कवास और मलवा की ओर बढ़ने लगा और जम गया और 22 फीट की ऊंचाई तक जलभराव हो गया.