Abdul Karim Tunda: बाबरी मस्जिद ढहाने की पहली वर्षगांठ पर हुए मुंबई, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद और सूरत की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है जहां इस मामले पर 31 साल बाद टाडा कोर्ट ने बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं मिला.
वहीं इस मामले में अन्य 2 आरोपी इरफान और हमीदुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मालूम हो कि पिछले 30 सालों से मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी जहां गुरूवार को आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा और अन्य आरोपियों पर सुनवाई पूरी हो गई थी.
मालूम हो कि टुंडा के खिलाफ शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में सीरियल बम ब्लास्ट का मामला 2014 से विचाराधीन चल रहा था. वहीं इस मामले में अंसारी सहित कुल 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. जहां अब्दुल करीम को साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से दबोचा गया था जिसके बाद टुंडा 24 सितंबर 2023 से अजमेर की सैंट्रल जेल में बंद है.
6 दिसंबर 1993 को हुए थे सिलसिलेवार बम धमाके
बता दें कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने की पहली बरसी पर 5 शहरों में लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे जिसमें अब्दुल करीम टुंडा (80), इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को आरोपी बनाया गया था. वहीं 20 साल पहले 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने ही इस मामले में 16 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 आरोपियों को बरी कर बाकी की सजा बरकरार रखने का फैसला सुनाया था.
कौन हैं अब्दुल करीम टुंडा ?
जानकारी के मुताबिक अब्दुल करीम टुंडा, यूपी का रहने वाला है जहां वह पश्चिमी यूपी के हापुड़ जिले के पिलखुवा में रहकर बढई का काम करता था. वहीं टुंडा 1980 से ही कई आतंकी संगठनों के संपर्क में आ गया था जिसके बाद उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से दहशत फैलाने की ट्रेनिंग भी ली थी. वहीं टुंडा के खिलाफ देशभर में उसके खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज थे जिसमें 40 बम धमाके कराने का भी आरोप है.