अजमेर। अजमेर के बहुचर्चित दो करोड़ रूपए की रिश्वत राशि मांगने के मामले में अब एक नया मोड आ गया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। दरअसल जमानत याचिका पेश करने में देरी होने के चलते हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने मुख्य न्यायाधीश से मामले की सुनवाई किसी अन्य बैंच से करवाने की मांग की है साथ ही कोर्ट के बाबू के खिलाफ भी जांच शुरू करवा दी है।
निलंबित एएसपी दिव्या मित्तल के एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि मित्तल की चार्जशीट पेश होने के बाद 22 मार्च को हाईकोर्ट के न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ढ़ड्ढ़ा की बैंच में जमानत याचिका पेश की गई थी। न्यायाधीश ने देरी से जमानत याचिका पेश करने का कारण जाना तो हाईकोर्ट की हड़ताल बताया गया। बाद में यह भी जानकारी दी गई कि 9 मार्च को ही जमानत याचिका मित्तल के वकील पंकज गुप्ता और राहुल अग्रवाल पेश करने पहुंचे थे लेकिन उन्होंने उक्त फाइल को कोर्ट के बाबू के पास रखवा दी थी और हड़ताल के बाद इसे पेश करने की बात कही थी।
बाबू के खिलाफ बैठाई जांच
इस मामले में बाबू के खिलाफ भी न्यायाधीश ने जांच गठित करवा दी है। वहीं, इस जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं करने के लिए भी मुख्य न्यायाधीश को लिख दिया है साथ ही अन्य बैंच से इसकी सुनवाई करवाने की मांग की है। अब दिव्या मित्तल की जमानत याचिका पर किस बैंच में सुनवाई होगी, इसका निर्णय मुख्य न्यायाधीश करेंगे।
नहीं मिली है अभियोजन स्वीकृति
एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने बताया कि अब तक दिव्या मित्तल की अभियोजन स्वीकृति सरकारी से नहीं मिली है, लेकिन 60 दिन पूरे होने के चलते एसीबी ने चार्जशीट पेश कर दी। अब भी एसीबी को अभियोजन स्वीकृति का इंतजार है। सोनी ने कहा कि कहने को तो चार्जशीट 11 हजार 500 पेज की पेश की लेकिन जब उन्होंने न्यायालय से चार्जशीट की कॉपी मांगी तो आईओ डीएसपी मांगीलाल ने उन्हें मात्र 855 पेज ही उपलब्ध करवाए। जिस पर उन्होंने एतराज जताते हुए न्यायाधीश से पूरी चार्जशीट दिलवाने की मांग की तो न्यायाधीश ने इसे सही माना और आईओ को पूरी चार्जशीट उपलब्ध करवाने के लिए निर्देशित किया।
ये था पूरा मामला
गौरतलब है कि अजमेर एसओजी के एएसपी पद पर रहते दिव्या मित्तल पर दवा कम्पनी के मालिक से दो करोड़ रूपए की रिश्वत राशि मांगने का आरोप था। इस संबंध में एसीबी ने दवा कम्पनी के मालिक की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर मित्तल को गिरफ्तार किया था। साथ ही उसकी सभी सम्पत्तियों को भी खंगाला था। मित्तल का दलाल सुमित भी इस पूरे मामले में साथ था और वह अब तक एसीबी के हाथ नहीं लग सका है। एसीबी की विशेष न्यायालय ने सुमित को स्थाई वारंटी भी घोषित कर दिया है।
(नवीन वैष्णव)