जयपुर। पक्षियों में कबूतर को शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन, कबूतर के संपर्क में रहना कितना खतरनाक हो सकता है। यह बहुत ही कम लोगों को पता है। कबूतर के साथ रहने के कारण कई गंभीर बीमारी हो सकती है। कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला मामला राजस्थान के कोटा में सामने आया है। जहां कबूतर के संपर्क में रहने से हुई एलर्जी के कारण 10 साल की बच्ची के दोनों फेफड़े खराब हो गए। इस बारे में तब पता चल जब बच्ची को सांस लेने में तकलीफ होनी लगी।
कोटा के आदित्य आवास में रहने वाले एक मुंशी ने एक कमरा किराये पर दे रखा है और किरायेदार ने एक कबुतर पाल रखा था। मुंशी की 10 साल की बच्ची करीब 6 महीने से उस कबूतर के साथ खेलती रहती थी। धीरे-धीरे बच्ची को कमजोरी के साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगी। इस बारे में जब उसने परिजनों का बताया तो बच्ची को अस्पताल ले गए। जहां पर जांच के बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक गुप्ता ने सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. केके डंग के पास भेज दिया।
फेफड़ों की झिल्ली में बन गए रई जैसे दाने
सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. केके डंग ने जांच में पाया कि बच्ची के फेफड़ों की झिल्ली में रई जैसे दाने बन गए और निमोनिया विकसित हो गया। इस पर बच्ची को स्टीयरोइड्स दवा चालू की गई। डॉ. केके डंग ने बताया कि लगातार कबूतर के संपर्क में रहने के कारण बच्ची का ऑक्सीजन लेवल 88 प्रतिशत आ गया और फेफड़ों की क्षमता कम हो गई थी। सीटी स्कैन और नसों की एंजियोग्राफी से स्पष्ट हुआ कि बच्ची को हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस हुआ है। हालांकि, उपचार के जारी है और अब बच्ची का स्वास्थ्य सामान्य है।
कबूतर के संपर्क के कारण हो सकती है गंभीर बीमारी
कबूतर से होने वाले संक्रमण को पीजियन ब्रीडर डिसीज कहा जाता है। यह पफेपफड़ों में होने वाला एक गंभीर तरह का संक्रमण है। इसे बर्ड फैन्सियर रोग, पफार्मर्स लंग्स के नाम से भी जाना जाता है। कबूतर का मल, बैक्टीरिया, कवक और परजीवियों जैसे हानिकारक सूक्ष्मजीवों की संभावित उपस्थिति के कारण स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। कबूतर की बीट में हवा में मौजूद कण हो सकते हैं, जो सांस के जरिए अंदर जाने पर सांस संबंधी जलन पैदा कर सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर इंसान की इम्युनिटी कम हुई तो ये फफूद फेफड़े से होते हुए, मनुष्य के ब्रेन में पहुंचते हैं और क्रिप्टोकोकॉकल मेनिनजाइटिस कर देते हैं।
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