Rajasthan : बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए प्रदेश सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा ( Rajendra Gudha ) लगातार गहलोत सरकार पर जुबानी हमले कर रहे हैं। अब उन्होंने गहलोत सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सूबे के मुखिया अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने हमसे किए वादे पूरे नहीं किए। उन्होंने कहा कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। पिछली बार 2008 में जब बसपा से 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे तो तब उनमें से 3 को संसदीय सचिव और 3 को मंत्री बनाया गया था। इसके साथ ही विधानसभा का टिकट भी दिया गया था।
मेरे कहने पर कांग्रेस पर शामिल हुए थे बसपा विधायक
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि इस बार मेरी वजह से ही बसपा से विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे। शुरुआत में मुख्यमंत्री जी ( CM Ashok Gehlot ) ने हमसे कई वादे किए थे। महत्वपूर्ण विभाग और पद सौंपने का वादा किया था। लेकिन उनमें से मैं ही राज्यमंत्री बना हूं, बाकि किसी की मांग पूरी नहीं की गई। कांग्रेस ने हमारे साथ वादाखिलाफी की है। इससे हमारे साथी विधायक लखन मीणा, वाजिब अली, संदीप यादव और दीपचंद्र खैरिया में असंतोष उभर रहा है।
आलाकमान से मुलाकात का वादा भी अधूरा
गुढ़ा यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद हमसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद रणदीप सूरजेवाला, मुकुल वासनिक ने वादा किया था कि वे हमें कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) और राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) से मिलाएंगे। उनसे मुलाकात के बाद वे हमारे टिकट और मंत्री पद-राजनीतिक नियुक्तियां की बात करेंगे। लेकिन नियुक्तियां तो छोड़िए आज तक उन्होंने हमारी मुलाकात तक नहीं कराई।
गहलोत के मंत्रियों के रवैए पर नाराजगी
गुढ़ा ने कहा कि जिस तरह से पार्टी ( Congress ) में अभी हालात बने हुए हैं, अब उन्हें नहीं लगता कि उन्हें टिकट मिलेगी भी। उन्होंने मंत्रियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार ( Congress Govt ) के मंत्रियों का रवैया भी ठीक नहीं है। जिससे हमारे साथी विधायकों में उनके खिलाफ और ज्यादा अविश्वास बढ़ा है।
गौरतलब है कि राजेंद्र गुढ़ा ( Rajendra Gudha ) और उनके साथी 5 विधायकों ने 2020 में पायलट ( Sachin Pilot ) खेमे की बगावत के बाद गहलोत सरकार को बचाने का काम किया था। ये 6 विधायक बसपा से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इनमें शामिल राजेंद्र गुढ़ा ने सभी 6 विधायकों को मंत्री पद देने की मांग की थी। लेकिन तब सिर्फ गुढ़ा को राज्यमंत्री बनाया गया था। उस वक्त भी आलाकमान के इस रवैए पर गुढ़ा ने अपनी नाराजगी जताई थी।
उन्होंने यहां तक कि कह दिया था कि जब तक उनके साथ आए विधायकों को भी मंत्री पद नहीं दिया जाएगा तब तक वे खुद का मंत्री पद नहीं स्वीकार करेंगे। इसके कई दिनों बाद तक उन्होंने अपना कार्यभार भी ग्रहण नहीं किया था। लेकिन बाद में मान-मनौवल से उन्हें मंत्री पद का कार्यभार संभालने के लिए राजी कर लिया गया था। तब से लेकर अब तक वे लगातार विधायकों के साथ किए गए वादों को लेकर गहलोत सरकार को घेरते नजर आते रहते हैं।