Rajasthan : जालोर में कथित रूप से जातिगत भेदभाव का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार अब शिक्षकों को एट्रोसिटी एक्ट यानि अुनसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून की जानकारी देगी। सरकार ने सभी स्कूलों को यह निर्देश जारी कर कहा है कि इस कानून की जानकारी देकर शिक्षकों को इस विषय में संवदेनशील बनाया जाए। सरकार की तरफ से जारी निर्देशों में स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील के दौरान भेदभाव की शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
निर्देश में कहा गया है कि बच्चों को एक साथ बैठा कर ही भोजन करवाया जाए। उन्हें जाति के आधार पर अलगअलग नहीं बैठाया जाए। सरकार की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि मिड-डे मिल निरीक्षण में इस बिन्दु को शामिल कर इस बात की भी जांच की जाए कि ऐसा कहीं हो तो नहीं रहा। निर्देशों में कहा गया है कि जहां इस तरह की शिकायत सामने आ रही है, वहां मासिक निरीक्षण कर इसकी जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी जाए। यदि कहीं ऐसा पाया जाता है तो संबंधित के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
अजा आयोग ने उठाए थे सवाल
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राजस्थान के स्कूलों में मिड-डे मील परोसने में कथित भेदभाव की शिकायत मिली है। वहीं 17 अगस्त को आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने राजस्थान सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक में कहा था कि हमें स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के दौरान अनुसूचित जाति के बच्चों को अलग बैठाए जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। वहां सामान्य श्रेणी के बच्चों को अलग बैठाया जाता है। सांपला ने कहा था कि एक कार्यक्रम में उन्हें इस बारे में बताया गया। उन्होंने उन स्कूलों की लिस्ट भी मांगी है, जहां ऐसा हो रहा है।
विजय सांपला ने मांगी थी रिपोर्ट
सांपला ने कहा था कि एक कार्यक्रम के दौरान एक बात और बताई गई कि मिड-डे मील के लिए अनुसूचित जाति के लोगों से खाना बनवाने का काम नहीं लिया जा रहा है। इसकी सच्चाई जानने और पुष्टि के लिए रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने राज्य सरकार से इस तरह के भेदभाव रोकने के लिए निर्देश जारी करने के लिए भी कहा था।