Rajasthan Election 2023: राजस्थान में 23 नबंवर को विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसके नतीजे 3 दिसंबर को आ जाएंगे। ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे बीजेपी-कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन, इस बार राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी, ये तो चुनाव के नतीजे आने के बाद भी पता चल पाएगा।
लेकिन, राजस्थान की एक ऐसी विधानसभा सीट भी है, जहां से प्रदेश के मुख्यमंत्री भी निकले। राजस्थान के राजसमंद जिले की कुंभलगढ़ सीट भी विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाती है। कभी इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ अच्छी मानी जाती थी। लेकिन, अब यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है।
पिछले दो चुनाव में कांग्रेस की हार
कांग्रेस पार्टी ने 1980 से 2003 तक देवपुरा को कुंभलगढ़ से चुनाव लड़वाया था। इसके बाद 2008 से 2018 तक कांग्रेस पार्टी ने गणेश सिंह परमार को टिकट दिया। जिसमें 2008 के चुनाव में परमार ने जीत हासिल की, लेकिन उसके बाद लगातार परमार को 2013 और 2018 के चुनाव मेंहार का सामना करना पड़ा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि परमार देवपुरा की तरह कुम्भलगढ़ की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने में सफल नहीं रहे।
राजपूत चेहरे को टिकट देने की मांग
यही कारण था कि भले ही कांग्रेस पार्टी ने उन पर दो बार भरोसा जताया, लेकिन यहां की जनता ने दोनों बार उन्हें खारिज कर दिया। ऐसे में कांग्रेस पार्टी में किसी बड़े राजपूत चेहरे को टिकट देने की मांग उठने लगी है। जो इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए जीत दर्ज कर एक बार फिर कुंभलगढ़ में कांग्रेस की वापसी करवा सके।
कांग्रेस की कूटनीति से कांटे की होगी टक्कर
इस सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात करें तो यह संख्या करीब 2.25 लाख के लगभग है। जिसमें अधिकतर वोटर राजपूत जाति के हैं। जातिगत समीकरण की बात करें तो 2008 से 2018 तक बीजेपी और कांग्रेस राजपूत कार्ड खेल रही हैं। राजपूत मतदाताओं की संख्या को देखते हुए दोनों पार्टियां कुंभलगढ़ विधानसभा सीट से राजपूत उम्मीदवार उतारती हैं। इतना ही नहीं अब यह सीट बीजेपी का गढ़ भी मानी जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी ने 2013 और 2018 का चुनाव लगातार जीता है। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी इस बार अपना उम्मीदवार बदलती है और राजपूत समुदाय से किसी मजबूत उम्मीदवार को कुंभलगढ़ के चुनावी रण में उतारती है, तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी.
जातिय समीकरण
जानकारी के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस अब यहां से जिताऊ उम्मीदवार की तलाश कर रही है। जानकारी के मुताबिक कुंभलगढ़ विधानसभा में करीब 55 हजार मतदाता खारवाड़ चटाना राजपूत हैं, जिन्हें कृषक राजपूत के नाम से भी जाना जाता है। अन्य सामान्य राजपूत मतदाताओं की संख्या करीब 15 से 20 हजार बताई जा रही है। इसी तरह एसटी वोटरों की संख्या 20 हजार, एससी मतदाताओं की संख्या करीब 10 हजार, गुर्जर मतदाताओं की संख्या करीब 28 हजार, ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 26, करीब 60 हजार ओबीसी वोटर हैं।
2023 विधानसभा चुनाव
आपको बता दें कि पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली कुंभलगढ़ विधानसभा सीट को वापस पाने के लिए कांग्रेस पार्टी एक बार फिर राजपूत कार्ड खेलने को तैयार है। इस सीट पर कांग्रेस से भीम सिंह चुंडावत, दिलीप सिंह राव, वैभव उपाध्याय, कैलाश मेवाड़ा, योगेन्द्र सिंह परमार, सूरत सिंह दसाड़ा ने मजबूत दावेदारी जताई है। ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी राजपूत समुदाय से किसी बड़े चेहरे को मैदान में उतारती है तो कांग्रेस उम्मीदवार राजपूत समुदाय के 20 हजार वोटरों में सेंध लगा सकता है। जो पिछले दो चुनावों में बीजेपी के पक्ष में खड़े दिखे थे।
बीजेपी से सुरेंद्र सिंह राठौड़ जो फिलहाल विधायक हैं। इसके बाद नीरज सिंह राणावत और अरविंद कुंवर भी बीजेपी से टिकट पाने की कोशिश में हैं। आपको बता दें कि राजसमंद संसदीय क्षेत्र की सीट भी बीजेपी के पास है। वर्तमान में राजसमंद से सांसद दीया कुमारी हैं। जिन्होंने कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर को भारी अंतर से हराया था।