Jammu Kashmir Elections: चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है, इसी के साथ 10 साल बाद जम्मू कश्मीर में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव होने जा रहे है,अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं, जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 2014 में चुनाव हुए थे जिसमे किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।
तीन चरणों में होगा चुनाव
जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में होगा चुनाव,18 सितम्बर को पहले चरण का चुनाव होगा, दूसरे चरण का चुनाव 29 सितम्बर और तीसरे चरण में चुनाव 1 अक्टूबर को होगा, चुनाव का परिणाम 4 अक्टूबर को आएगा, हाल ही में चीफ इलेक्शन अफसर राजीव कुमार जम्मू कश्मीर दौरे पर रहे थे और स्थिति का जायजा लिया।
90 सीटों पर होंगे चुनाव
जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे, जिसमे जम्मू की 43 और कश्मीर की 47 सीटों पर चुनाव होंगे, पीओके की 24 सीटों पर चुनाव संभव नहीं हैं, लद्दाख अब एक केंद्रशासित प्रदेश हैं जहाँ अब विधानसभा चुनाव नहीं होंगे, यानी जम्म कश्मीर की 114 सीटों में से कुल 90 सीटों पर चुनाव होंगे।
परिसीमन के बाद कितना बदला जम्मू कश्मीर का चुनाव
2020 में हुए जम्मू कश्मीर परीसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में कुल 7 विधानसभा की सीटें बढ़ाई गई है जिसमे जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 सीट बढ़ाई गई है, जम्मू में राजौरी, किश्तवाड़, सांबा, कठुआ, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट नई बढ़ाई गई है वहीं, कश्मीर में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाई गई है।
कितने मतदाता करेंगे मताधिकार का प्रयोग
जम्मू कश्मीर में कुल 87.09 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, इसमें 42.63 लाख महिला और 44.46 लाख पुरुष मतदाता होंगे, 3.71 लाख लोग पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, साथ ही कुल 20 लाख से ज्यादा युवा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
क्या रहा था 2014 का चुनावी परिणाम ?
2014 में हुए चुनाव के दौरान जम्मू कश्मीर में कुल 111 विधानसभा सीटें थीं, 111 सीटों में से 24 सीटें POK के अंतर्गत आती है, 2014 में कुल बाकी 87 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुआ जिसमे पीडीपी 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, BJP (25 सीटें) और PDP (28 सीटें) ने मिलकर सरकार बनाई थी और PDP प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने CM पद की शपथ ली, 2018 में BJP के समर्थन लेने के बाद सरकार गिर गई थी और महबूबा मुफ़्ती को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।