ED summons Vaibhav Gehlot: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत सोमवार 30 अक्टूबर को ईडी के सामने पेश हुए हैं। जानकारी की माने तो यह पूरा मामला फेमा के उल्लंघन का है। ईडी ने फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) मामले में पूछताछ के लिए वैभव गहलोत को समन भेजा था। आज पूछताछ के दौरान वैभव गहलोत ने कहा कि FEMA से मेरा या मेरे परिवारके किसी सदस्य का कोई लेना देना नहीं, FEMA के तहत कोई लेन-देन नहीं हुआ है।
कोई विदेशी लेनदेन नहीं किया- वैभव गहलोत
वैभव गहलोत से ईडी ने पहले दौर में सोमवार को करीब चार घंटे तक पूछताछ की। पहले दौर की पूछताछ के बाद लंच के लिए एक घंटे का समय दिया गया। लंच ब्रेक के बाद दोबारा पूछताछ शुरू हुई। इस दौरान वैभव ने मीडिया से बात करते हुए कहा- मैंने और मेरे परिवार ने कोई विदेशी लेनदेन नहीं किया, फेमा का कोई मुद्दा नहीं उठता।
मुझे ईडी ने फेमा मामले में तलब किया था। पूछताछ सिर्फ फेमा से जुड़े मामलों में ही की गई है। मैंने और मेरे परिवार ने कोई विदेशी लेनदेन नहीं किया। फेमा में यह समन ही गलत है। मुझे पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए केवल डेढ़ दिन का समय दिया गया था। मुझे और समय मिलना चाहिए था।
क्या होता है फेमा?
दरअसल ‘फेमा’ का पूरा नाम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) है जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन और विदेशी व्यापार एवं भुगतान संबंधी एक नियम है। फेमा के तहत देश के बाहर व्यापार और भुगतान तथा भारत में विदेशी मुद्रा के रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया एक नागरिक कानून है जहां इस नियम के तहत ईडी को विदेशी मुद्रा कानूनों और नियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की जांच करने का अधिकार है।
फेमा की शुरुआत विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 में हुई थी जहां 1 मई 1956 को इन्फोर्समेंट यूनिट नामक एक संगठन बनाया गया था जिसके बाद 1957 में उसे संशोधित कर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बना दिया गया।
इसके बाद फेरा-47 को निरस्त कर फेरा-73 बनाया गया जो 1 जनवरी 1974 से लागू किया गया। वहीं, फिर ‘फेरा-73’ को 1998 में निरस्त कर 1999 में देश की संसद ने ‘फेमा’ पारित किया जिसके बाद 1 जून 2000 से यह देशभर में लागू है।