बांध सुरक्षा मामले में राज्यों के उदासीन रवैए पर बिफरे गजेंद्र सिंह शेखावत

जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में अंतरराष्‍ट्रीय डैम सेफ्टी कॉन्‍फ्रेंस-2022 का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 12 अक्टूबर तक चलेगा। आज केंद्रीय जलशक्ति मंत्री…

बांध सुरक्षा मामले में राज्यों के उदासीन रवैए पर गजेंद्र सिंह शेखावत ने जताई चिंता 

जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में अंतरराष्‍ट्रीय डैम सेफ्टी कॉन्‍फ्रेंस-2022 का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 12 अक्टूबर तक चलेगा। आज केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। उन्होंने यहां कार्यक्रम को संबोधित भी किया। 

अपने संबोधन में गजेंद्र सिंह ने बांध सुरक्षा को लेकर राज्यों के उदासीन रवैए पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राष्‍ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण का गठन किया है, लेकिन उसके बाद भी राज्‍य सरकारें इस दिशा में काम नहीं कर रहीं हैं। पूरे देश में अभी तक सिर्फ 6 राज्यों ने राज्य बांध सुरक्षा संगठनों का गठन किया है। जिसके चलते सक्षम बांध प्रबंधन को लेकर केंद्र की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। 

शेखावत ने कहा कि हमारे देश में जल क्षमता बहुत कम है। जबकि पानी की जबरदस्त मांग है इसलिए बांध प्रबंधन के लिए तेजी से काम करना आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश ने 100 सालों में बांधों को बनाने में भारी निवेश किया है। बांध के मामले में भारत का चीन और अमेरिका के बाद तीसरा नंबर है। यहां के 5 हजार 700 बड़े बांधों में से लगभग 80% बांध 25 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। सात ही 227 ऐसे बांध हैं, जो 100 साल से भी पहले के हैं और अभी तक उनसे काम  लिया जा रहा है। 

शेखावत ने प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र करते हुए कहा कि साल 2013 में उत्‍तराखंड के केदारनाथ में और जून 2014 में हिमाचल के कुल्‍लू जिले में ब्‍यास नदी में कई लोगों के डूब गए थे ऐसी घटनाएं न हो इसलिए केंद्र सरकार यह परियोजना लेकर आई है। लेकिन राज्य इसमें रुचि ही नहीं ले रहे हैं। इसलिए इस दिशा में राज्‍यों को केंद्र सरकार के प्रयासों के बारे में सोचना चाहिए और उसमें सहयोग करना चाहिए। 

शेखावत ने कहा कि देश में 92 प्रतिशत ऐसे बांध हैं जो कई राज्यों को जोड़ने वाली नदियों पर बने हैं। अगर ऐेसे में किसी बांध में कोई दिक्कत आती है तो इसका खामियाजा दूसरे राज्यों को भुगतना पड़ेगा। इसलिए राज्यों को ऐसा रवैया छोडकर सरकार नीतियों पर ध्यान देना होगा औऱ उनके क्रियान्वयन पर जोर देना होगा। 

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