अलवर। बहरोड़ क़स्बे के पार्क हॉस्पिटल के 26 वर्षीय डॉक्टर मनीष सैनी ने अज्ञात कारणों के चलते सुसाइड कर लिया। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया व परिजनों के आने के बाद पोस्टमार्टम करवाया। युवक के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उसने 7 पेज सुसाइड नोट भी लिखा है। नोट पर युवक ने अपनी जो दास्तां लिखी उसे पढ़कर परिजन सहम गए। इस नोट में डॉक्टर ने जिंदगी में फेल हो जाने को अपनी मौत को कारण बताया है।
गुड़गांव से ट्रांसफर होकर आया था बहरोड़
डॉक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह अपने माता-पिता के सपनों को पूरा नहीं कर सका, हालांकि उसने अपनी मृत्यु का जिम्मेदार किसी को नहीं बताकर फेलियर बताया। सब इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि उन्हें सुबह करीब 6 बजे सूचना मिली कि अस्पताल परिसर में बने हुए आवासों के जीएफ बी 2 कमरे में ड्यूटी डॉ मनीष कुमार सैनी ने सुसाइड कर लिया। मृतक जेजे स्कूल के पास वार्ड-1 फरुखनगर गुरुग्राम हरियाणा का निवासी था। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया मृतक अपने कमरे में अकेला था और वह करीब 7 महीने पहले ही पार्क अस्पताल गुड़गांव से ट्रांसफर होकर बहरोड़ पार्क अस्पताल में आया था।
लाइफ इंश्योरेंस का क्लेम लेने के लिए इतना रुका
मृतक डॉक्टर दो भाई हैं। बड़ा भाई पवन सैनी इंजीनियर है, पिता लालसिंह सैनी कंपनी में काम करते हैं। जबकि माता गृहणी हैं। सुसाइड नोट में युवक के माता पिता व परिवार के लिए लिखे गए शब्दों को सुनकर कलेजा सहम गए। युवक ने लिखा कि मैं खत्म हो रहा हूं अपनी कहानी में, मैं अपनी असफलता से परेशान हो चुका था। जिसको सहन कर पाना मुश्किल था। यह कदम मैं पहले ही उठा लेता लेकिन दिसंबर में लाइफ इंश्योरेंस की किस्त पूरी होनी थी। ताकि उसका क्लेम से आप लोगों को मदद मिल सकती, लेकिन अब सहन नहीं हो रहा। ऐसा नहीं है कि मैंने मेहनत नहीं की लेकिन उसका फल मुझे नहीं मिला।
मेरी पढ़ाई में खर्च हुआ मां-बाप का पूरा पैसा
मुझे कामयाब बनाने में आप लोगों ने सब कुछ दांव पर लगा दिया था। जब घर में कोई सामान नहीं आता था, जितनी कमाई थी सब मेरी फीस और खर्च में चली जाती थी, आप सबके इतना कुछ करने के बाद भी मैं आपको उसका रिटर्न नहीं दे पाया।
युवक ने आगे लिखा कि बहरोड़ आने के बाद यह अकेलापन मेरी परेशानियों को बढ़ा देता, रात रात भर नींद ही नहीं आती थी समझ नहीं आता या क्या करूं गुड़गांव था, तो घर जाने के बाद मूड ठीक हो जाता था, यहां के दोस्त भी परिवार की तरह थे। इसलिए मैं जब घर जा आता करता मुझे बस एक ही डर लगता था। कि आप सब के ऊपर क्या बीतेगी जब मैं चला जाऊंगा।
अटैचमेंट कम हो इसलिए कम करता था बात
इसलिए मैं किसी से बात नहीं करता या अच्छे से ताकि आप लोगों की थोड़ी अटैचमेंट कम हो जाए मेरे से पर फिर भी आप लोगों का प्यार कम नहीं हुआ कहते हैं ना अपने अपने ही होते हैं। युवक ने लिखा कि फेलियर की वजह से मैं चारों तरफ से घिर चुका था। जिससे टेंशन के चलते घर को बर्बाद करने वाली गंदी आदतें जैसे ड्रिंक और स्मोकिंग की लत भी गई थी। उससे अच्छा है खुद को खत्म कर लू।मुझे पता है कि इस शब्द के बाद आपको कितना दुख होगा लेकिन मेरे पास कोई उम्मीद नहीं बची युवक ने अपने बड़े भाई पवन के बारे में लिखा की पवन अब सब कुछ तुझे ही संभालना पड़ेगा मै तुझे अकेला छोड़कर जा रहा हूं।
मेरी तरह कोई कदम मत उठाना
आगे युवक ने लिखा कि हो सके तो यहां से जमीन बेचकर कहीं और रहने लग जाना। लेकिन इस परिवार में मत रहना। सीमा,मनन,अक्षांत को डॉक्टर बनाना, उनकी कामयाबी के लिए जो भी करना पड़े मेरे पीछे से मम्मी पापा ने जो किया था उसका रिटर्न जरूर देंगे। वो मेरी तरह तुम्हें अकेला छोड़ कर नहीं जाएंगे जैसे मैं जा रहा हूं अपने घर वालों को धोखा देकर। जहां लगे परिवार उनके लिए खतरा बन रहा है, तो परिवार से ही अलग हो जाना वरना वहीं बर्बादी देखोगे जब हमने देखी है। डॉक्टर ने आगे लिखा कि अगर मेरे पास और थोड़ा टाइम होता तो आप सबको अपनी पसंद की लड़की से मिलवाता। वह बहुत अच्छी है उसके साथ काफी बार रेस्टोरेंट भी गया। काफी सपोर्ट किया उसने मुझे। उसका मेरे जाने से कोई लेना-देना नहीं है।
( रिपोर्ट- नितिन शर्मा)