Vachathi Rape Case: वचथी रेपकांड की शिकार 18 आदिवासी महिलाओं को आखिरकार 31 साल बाद इंसाफ मिल गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 215 सरकारी अफसरों को जेल भेज दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने रेप के आरोपियों की सभी अपीलों को खारिज कर दिया है। बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने एक सत्र कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए साल 1992 के सामूहिक रेपकांड ये फैसला सुनाया है।
215 अधिकारियों को जेल की सजा
मद्रास हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने वन, पुलिस और राजस्व विभागों के 215 अधिकारियों को जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि कोर्ट ने माना है कि सभी पीड़ितों और अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य ठोस व सुसंगत हैं। इन पर पूरी तरह भरोसा किया जा सकता है। अभियोजन पक्ष ने अपने साक्ष्य के माध्यम से अपना आरोप और मामला साबित कर दिया है।’
जानें-क्या है वचथी रेपकांड?
तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के आदिवासी गांव वाचथी में 20 जून 1992 को वन विभाग, पुलिस और रेवेन्यू विभाग के अफसरों ने चंदन की लकड़ी के तस्करों की तलाश में रेड डाली थी। इस दौरान वहां रहने वाले 217 लोगों के के साथ 215 सरकारी अफसरों ने जांच की आड़ में क्रूरता की थी। पीड़ितों में 94 महिलाएं और 28 बच्चे रहे।
इनमें में से 18 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था। जिनमें से एक उस समय आठ महीने की गर्भवती थी और दूसरी 13 साल की नाबालिग थी। इतना ही नहीं आदिवासी और दलित समुदाय के लोगों के साथ दो दिन बेरहमी से पिटाई की गई और उनके घरों में लूटपाट भी की।
इस मामले में साल 1995 में एफआईआर दर्ज हुई और उसी साल ट्रायल कोर्ट का गठन किया गया। साल 2011 में एक स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने 269 में से 215 सरकारी अफसरों को दोषी ठहराया। उनमें से 54 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। वहीं, अब इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने स्पेशल ट्रायल कोर्ट फैसले को बरकरार रखते हुए 215 दोषियों को जेल की सजा सुनाई है।