Sawan 2023: शिव भक्ति के चलते पवित्र सावन का महीना शुरू हो गया है। इस सावन 4 जुलाई से 31 अगस्त तक चलेगा। यानी इस बार शिव भक्त 59 दिन तक भोलेनाथ की पूजा-उपासना कर मौज काटेंगे। कहते है सोमवार के सावन के दिन व्रत रखने से भोलेनाथ मनोवांछित फल देते हैं। साथ ही इस महीने में भोलेनाथ को प्रसन्न करने पर अशुभ योग या दुर्योगों का भी नाश होता है। आइए जानते हैं सावन में शिवजी की पूजा से कौन से दुर्योग नष्ट होते हैं।
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केमद्रुम योग
यह च्रंदमा से बनने वाला सबसे भंयकर दुर्योग है। जब चंद्रमा के दोनों तरफ कोई ग्रह नहीं होता या किसी की ग्रह की दृष्टि नहीं होती है तो केमद्रुम योग बनता है। यह योग मानसिक बीमारी, डिप्रेशन और तनाव जैसी बीमारियां लेकर आता है। कभी कभी व्यक्ति घोर द्ररिद्रता का सामना भी करता है। कुंडली में बृहस्पति के मजबूत होने पर ये दुर्योग काफी हद तक कमजोर हो जाता है।
केमद्रुम योग के उपाय
सावन में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करवाएं। शिव सहस्त्रनाम का पाठ करें। गले में चांदी की चेन धारण करें। अपनी माता और स्त्रियों का सम्मान करें।
विष योग
यह ज्योतिष का सबसे रहस्यमयी और नकारात्मक योग है। शनि च्रंद्रमा या शनि-राहु के संबंध से यह योग बनता है। इस योग के होने पर व्यक्ति नशे का आदि, दुश्चरित्र और अनैतिक हो जाता है। कभी-कभी गंभीर दुर्घटना का शिकार भी होता है। आमतौर पर वह बड़ा अपराधी बनने का रुख करता है।
विष योग के उपाय
नित्य सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं। तुलसी दल का सेवन करें। पूरे सावन भर रुद्राष्टक का पाठ करें। शिवजी को भांग और धतूरा अर्पित करें. रुद्राक्ष की माला धारण करें।
ग्रहण योग
सूर्य या चंद्रमा से राहुल का संयोग होने पर यह योग बनता है। यह अशुभ योग सुख को नष्ट कर देता है। इसके होने पर व्यक्ति की खुशियों को ग्रहण लग जाता है। कुंडली के शुभ योग काम नहीं करते हैं।
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ग्रहण योग के उपाय
सावन के हर सोमवार को व्रत रखे: शिवलिंग का केवल जलाभिषेक करें। पूरे सावन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का प्रात: और सायंकाल पाठ करें।
राहु केतु से बनने वाले दुर्योग
राहु-केतु की खराब स्थिति कुंडली को बहुत तरीके से प्रभावित करती है। इसको कालसर्प दोष या पितृदोष भी कहते हैं। इनकी वजह से जीवन में बड़ा उतार-चढ़ाव आते हैं। तरक्की के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।
राहु केतु के उपाय
सर्प की मुद्रिका धारण करें : कच्चे दूध में दूर्वा डालकर शिवलिंग पर अर्पित करें। पूरे सावन भर नागिनी द्वादश नाम स्त्रोत का पाठ करें।