कानपुर के कोतवालेश्वर महादेव मंदिर: उत्तर प्रदेश में स्थित कानपुर शहर को अपनी धार्मिक और पौराणिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां के कोतवालेस्वर महादेव मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। इस मंदिर के पुजारियों का दावा है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है, उसकी मुरादें भगवान जरूर पूरी करते हैं।
मंदिर की महिमा
कोतवालेस्वर महादेव मंदिर की महिमा निराली है। यहां के पुजारी ऐसा दावा करते हैं कि कोतवालेस्वर महादेव के मात्र दर्शन से कोर्ट-कचहरी के चक्कर खत्म हो जाते हैं और मुकदमों में निर्णय पक्ष में आता है। सावन के महीने में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए उमड़ रही है।
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कोतवालेश्वर महादेव का इतिहास
कोटवालेस्वर महादेव को शहर का कोटवाल भी कहा जाता है। यहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि जब कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी का बिगुल फूंका था, तब ईस्ट इंडिया कंपनी के कोटवाल ने अपनी जान बचाने के लिए इसी प्राचीन शिव मंदिर में शरण ली थी। इसी मंदिर में कोटवाल आकर छिप गया था।
अनूठा इतिहास
क्रांतिकारी नानाराव पेशवा और उनके सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। तब कानपुर चौक में कई अंग्रेजी सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। लोगों में अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ गुस्सा था। ऐसे में अंग्रेजी फौज के कुछ सिपाही अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपने का ठिकाना ढूंढ रहे थे, तभी अंग्रेजी हुकूमत का एक कोटवाल इसी मंदिर में आकर छिप गया था।
बाद में कोटवाल शिव भक्त बन गया
हालांकि, बाद में कोटवाल के दूसरे साथी उसे ढूंढने यहां आए और उसे अपने साथ ले जाने लगे। लेकिन, कोटवाल उनके साथ नहीं गया और इसी मंदिर में भगवान शिव का भक्त बन गया। फिर इसी अंग्रेज भक्त ने अपने पैसों से इस मंदिर का दोबारा जीर्णोद्धार कराया। तभी से इस मंदिर को ‘कोटवालेस्वर” के नाम से पुकारा जाने लगा।
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कोतवालेश्वर मंदिर की चमत्कारी शक्ति
कानपुर में कोटवालेस्वर बाबा मंदिर के पुजारी लखन गिरी की मानें तो शहर के कई नामचीन कारोबारियों और नेताओं को कोटवालेस्वर बाबा ने कोर्ट कचेहरी से मुक्ति दिलाई है। जिनकी मुरादें बाबा पूरी करते हैं, वे श्रद्धालु मंदिर के जीर्णोद्धार में मदद करते हैं।
श्रद्धालुओं का आकर्षण स्थल
कोटवालेस्वर महादेव मंदिर सोमवार को ज्यादा भीड़ का सामना करता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त भगवान का ध्यान, पूजा और अर्चना करने के लिए उमड़ जाते हैं।