जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बदली हुई रणनीति से बीजेपी और संघ में बड़ी बेचैनी है। क्योंकि मुख्यमंत्री गहलोत की नई रणनीति का उनको कोई तोड़ नहीं सूझ रहा है। सचिन पायलट का सरकार के खिलाफ दिया धरना भी आत्मघाती गोल साबित हुआ। इस धरने के बाद आमजन को समझ में आ गया कि धरना सरकार और कांग्रेस को कमजोर करने की एक गहरी चाल थी।
कांग्रेस आलाकमान ने भी अनदेखी कर सारा मामला ही उलट दिया। सचिन पायलट पार्टी में अलग थलग पड़ने के बाद फिलहाल अब धीरे-धीरे राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में भी अप्रासंगिक से होते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत की सूझबूझ की राजनीति ने बीजेपी और अपने विरोधियों को आपस में ही उलझा दिया।
बीजेपी के कुछ नेता बिगाड़ रहे हैं माहौल
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की गहलोत के खिलाफ कल की गई बयानबाजी को पसंद नहीं किया जा रहा है। यहां संघ कार्यालय सेवासदन में नताओें के साथ की जा रही बैठकों में गहलोत सरकार की योजनाओं पर चर्चा के साथ सावधानी से बोलने पर जोर दिया गया है। नए प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी इसलिए केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओ पर फोकस कर जनता के बीच में जा रहे हैं। कानून व्यवस्था जरूर मुद्दा है, लेकिन उसमें भी गहलोत ने सख्ती कर उस काफी हद तक संभालने की कोशिश की है। जानकार भी मान रहे हैं कि गहलोत की यह रणनीति सरकार को रिपीट करवा देगी। क्योंकि कांग्रेस जहां संयमित होकर बोल रही तो वहीं बीजेपी के कुछ नेता निजी हमलों से माहौल बिगाड़ रहे हैं। जो पार्टी को भारी पड़ सकता है।
सीएम का जनकल्याणकारी योजनाओ पर फोकस
मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने विरोधियों और विपक्ष के सवालों के जवाब देने के बजाए पूरा जोर अपनी योजनाओं को आमजन के बीच ले जाने पर लगा दिया। मुख्यमंत्री गहलोत नेप्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ मिलकर पहले अपने विधायकों और पदाधिकारियों के साथ चर्चा कर समझाया कि कै से सरकार रिपीट हो सकती है। कै से जनता के बीच जाकर योजनाओं के बारे में बताना है। इसका नतीजा यह हुआ कि विरोधी भी समझ गए लड़ाई और सवाल उठाने से कु छ नहीं होगा। सभी ने अपने-अपने इलाकों में जाकर काम शुरू कर दिया।
इसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत नेप्रभारी रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा के साथ इलाकों का दौरा शुरू कर दिया। अपने दौरो में मुख्यमंत्री गहलोत खुद जनता के बीच में पहुंचकर बचत,राहत और बढ़त के बारे में चर्चा कर बताते हैं कि उनकी सरकार ने 500 का सिलेंडर, फ्री इलाज, ओपीएस, 1000 की पेंशन, कर्जा माफी, मुफ्त बिजली, सैकड़ों नए स्कूल कालेज खोलने की जानकारी, गरीब के बच्चों केलिए सरकारी अंग्रेजी स्कूल,युवक युवतियों केलिए तमाम योजनाएं चलाई है। मतलब गहलोत खुद जनता के बीच में पहुंच महंगाई राहत कैं पों में रजिस्ट्रेशन पर जोर देते हैं।
जनता भी मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर उत्साहित दिखती है। गहलोत की इसी रणनीति ने संघ और बीजेपी में बेचैनी पैदा कर दी है। क्योंकि उनके पास गहलोत की इस सकारात्मक रणनीति का कोई तोड़ नहीं सूझ रहा है। दसरा जनता में मुख्यमंत्री गहलोत और सरकार के खिलाफ रति भर भी नाराजगी नजर नहीं आती है। सचिन का मुद्दा भी खत्म सा हो गया दिखता है। अब स्थिति यह हो गई कि गहलोत के खिलाफ कु छ भी बोलना उल्टा पड़ सकता है।
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