जयपुर- बोलो रामसा पीर की जय जैसे अनेक जयकारों से सरोबार हो रखी बाबा रामसा पीर की नगरी रामदेवरा जहां भाद्र पद की शुक्ल पक्ष द्वितिया से मेले का शुभारंभ होता है. इस 640 वां मेले का शुभारंभ 5 सिंतबर से हुआ. मेले में आस्था व भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है. देशभर के कौने-कौने से लाखों कि संख्या में आ रहे भक्त बाबा रामसा पीर की समाधि के दर्शन कर परिवार में सुख-सम्रद्धि व व्यापार में बढ़ोतरी कि कामना कर रहे है.
ये पूरे मेले का विवरण
5 सितंबार से मेले कि शुरूआत हुई, 10 दिन तक मेले कि रेलमपेल रहेगी. 5 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है मेला. 2000 के करीब सुरक्षाकर्मी है तैनात, 4 से 5 किमी तक लगी है मंदिर पंहुचने कि लाइन, 12 किलोमीटर पोकरण से दूर है रामदेवरा.
बाबा रामदेव का मेला ध्वजारोहण के साथ होता है शुरू
मारवाड़ का कुंभ माने जाने वाला बाबा रामदेव का वार्षिक भादवा मेला ध्वजारोहण के साथ शुरू होता है. ये मेला भादवा शुक्ल पक्ष कि एकादशी तक भरा जाएगा. जहां भक्त अपने इष्टदेव व रामासापी के दर्शन करने के लिए आतुर नजर आते है. इस मेले में काफी दूरदराज से आते है भक्त.
कौन है बाबा रामदेव
रूणिचा के राजा बाबा रामदेव को रामसा पीर या रामापीर के नाम से भी जाना जाता है. बाबा रामदेव राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं. उन्हें हिंदू भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. बाबा रामदेव का जन्म ऊंडुकाशमीर(बाड़मेर) के राजपूत परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम अजमलजी तंवर और मां का नाम मैणादेथा. बाबा रामदेव ने रूढ़ियों और छूआछूत का विरोध किया. उन्होंने समाज में व्याप्त जाति-पांत के भेदभाव को दूर करने और नारी व दलित उत्थान के लिए काम किया. बाबा रामदेव ने पाखंड और आडंबर का विरोध किया. उन्होंने सगुन-निर्गुण, अद्वैत, वेदान्त, भक्ति, ज्ञान योग, कर्मयोग जैसे विषयों की सरल व्याख्या की. बाबा रामदेव के पुजारी ‘मेघवालजाति’ के होते हैं जिन्हें ‘रिखिया’ कहा जाता है. जैसलमेर के रूणीचा में बाबा रामदेव का एक विशाल मंदिर है. जहां लाखों कि संख्या में भक्त दर्शन को आते है.