जयपुर: राजस्थान में हर 5 साल बाद सरकारों के बदलने का रिवाज पिछले 2 दशक से लगातार जारी है जहां जनादेश के आगे बीजेपी और कांग्रेस का आवागमन चलता रहता है. वर्तमान में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार रिवाज बदलने का दावा कर रही है जहां सीएम गहलोत अपने बयानों में सरकार के कामकाज और योजनाओं के बूते मिशन 156 के साथ सरकार रिपीट का जिक्र कर रहे हैं.
वहीं सरकारी योजनाओं के सहारे लोकतंत्र में माई-बाप कही जाने वाली जनता वोट का आशीर्वाद देती है इसका कोई तय पैमाना नहीं है जिसका एक उदाहरण खुद अशोक गहलोत ही हैं जो अक्सर अपनी 2003 की हार के कारणों को बताते हैं. हाल में अशोक गहलोत ने एक मीडिया संस्थान को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने खुलकर 2003 में हुई हार की वजहें बताई.
दरअसल अशोक गहलोत 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे जहां कांग्रेस को 153 सीटें मिली थी और इसके बाद उपचुनाव में मिली 3 सीटों के बाद कुल 156 सीटें हो गई थी. वहीं गहलोत के मुताबिक उन्होंने पहली बार सीएम बनने पर शानदार काम किया और काम के बदले अनाज योजना शुरू की जिससे जनता को काफी राहत मिली. गहलोत ने बताया कि उस दौरान भयंकर अकाल और सूखा पड़ा लेकिन गहलोत सरकार ने लोगों के घरों तक गेहूं पहुंचाया.
फिर 2003 में कैसे हार गई कांग्रेस?
1998 में शानदार सीटों से साथ आई सरकार 2003 में हार गई जिसके पीछे आखिर क्या वजहें रही. गहलोत ने बताया कि 2003 में कर्मचारियों की नाराजगी के चलते हमें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि 1998 में जब वह सीएम बनकर आए तो कुछ ही समय बाद प्रदेशभर में लाखों कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हो गई थी और लगातार कर्मचारियों का आक्रोश चरम पर था.
गहलोत ने स्वीकार किया कि कर्मचारियों की नाराजगी वह और उनकी कैबिनेट के साथी समय रहते दूर नहीं कर पाए और उनकी मांगों को हम नहीं समझ पाए. गहलोत ने मुताबिक उस दौरान डायलॉग की कमी रही जिसके चलते 2003 के चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ जमकर वोट पड़े.
‘काम नहीं, सैलरी नहीं का निकला था आदेश’
दरअसल इस दौरान लंबी चली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान सरकार ने कई सख्त फैसले लिए थे जहां ‘नो वर्क, नो पेमेंट’ का ऑर्डर भी निकला था जिसके बाद कर्मचारियों का गुस्सा फूट गया. बताया जाता है कि प्रदेशभर में कर्मचारियों की य़ह हड़ताल 64 दिनों तक चली थी. गहलोत ने बताया कि इसके बाद जब 2003 में चुनाव हुए तो उनके खिलाफ नारेबाजी करते हुए लोग वोट डालने गए थे.
2003 में कांग्रेस को मिली थी 56 सीटें
गौरतलब है कि 1998 में शुरू हुए कर्मचारियों के आंदोलन के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में आंदोलन शुरू हो गए जिसका नतीजा चुनाव परिणामों में देखने को मिला. बता दें कि 1998 में जहां कांग्रेस को 153 सीटें मिली थी वहीं 2003 के चुनावों में कांग्रेस सीधा 156 से 56 सीटों पर आ गई.