वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बाहर एक तारे का चक्कर लगा रहे पृथ्वी जैसे ग्रह की पहचान की है। यह ग्रह धरती से लगभग 12 प्रकाश वर्ष दूर एक तारे की परिक्रमा कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार मिले सिग्नल्स संकेत दे रहे हैं कि इस ग्रह में पृथ्वी की तरह चुंबकीय क्षेत्र हो सकता है। वाईजेड सेटी बी नाम के इस एक्सोप्लैनेट को वैज्ञानिकों पृथ्वी 2.0 का नाम दिया है। सौर मंडल के बाहर किसी तारे का चक्कर लगाने वाले ग्रहों को एक्सोप्लैनेट कहा जाता है। चुंबकीय क्षेत्र का संभावित अस्तित्व उस ग्रह पर जीवन होने का संकेत दे सकता है। तारे से बार-बार निकलने वाले एक रेडियो संकेत का अवलोकन किया है।
चुंबकीय क्षेत्र के लाभ
ऐसे संकेत एक रहने योग्य दुनिया के लिए आशा जगाते हैं, क्योंकि इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र उसके वातावरण को उसके तारे से निकलने वाले कणों द्वारा समय के साथ खराब होने से रोक सकता है। पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इसी तरह से काम करता है, जो सूर्य से आने वाली खतरनाक ब्रह्मांडीय किरणों को सीधे टकराने से रोकता है। चूंकि चुंबकीय क्षेत्र अदृश्य होते हैं, ऐसे में यह निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण है कि क्या वास्तव में यह किसी दूर के ग्रह से आ रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने खुद दी जानकारी
खगोलविद जैकी विलाडसन ने कहा कि मैं इस चीज को देख रहा हूं जो पहले किसी ने नहीं देखा है। हमने शुरुआती बौछारों में ऐसे सिग्नल्स को देखा। यह काफी सुंदर लग रहा था। जब हमने इसे फिर से देखा तो वह बहुत हद तक संकेत दे रहा था कि शायद हमारे पास वास्तव में यहां कुछ है। कोलोराडो विश्वविद्यालय के एक खगोल भौतिकीविद् सेबस्टियन पिनेडा ने कहा कि कोई ग्रह वायुमंडल के साथ जीवित रहता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रह के पास एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है या नहीं।
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